सीकर जिला दर्शन : सीकर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
सीकर प्राचीन समय में वीरभान बास नामक ग्राम था। सीकर पर बीकानेर के राठौड़ शासकों के वंशज शासन करते थे। सीकर नाम (इस ग्राम को) शिवसिंह द्वारा दिया गया। शिवसिंह ही सीकर का संस्थापक माना जाता है।यह 17वीं शताब्दी में स्थापित सीकर जयपुर रियासत का सबसे बड़ा ठिकाना था। इसके संस्थापक राव शिवसिंह थे।
- सीकर का क्षेत्रफल : 7732 वर्ग किमी है।
- नगरीय क्षेत्रफल – 194 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 7,538 वर्ग किलोमीटर है।
- जिले में कुल वनक्षेत्र – 639.30 वर्ग किलोमीटर है।
- सीकर जिले की मानचित्र स्थिति – 27°21′ से 28°12′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°44′ से 75°25′ पूर्वी देशान्तर है।
- सीकर की आकृति – कटोरेनुमा/ प्यालेनुमा/अर्द्धचन्द्राकार
- कांतली नदी इसका उद्गम सीकर जिले में रेवासा गाँव के समीप स्थित खण्डेला की पहाड़ियों से होता है। इसका अपवाह क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है। राजस्थान में आंतरिक प्रवाह की दृष्टि से यह सबसे लम्बी नदी है।
- रेवासा झील सीकर में स्थित यह खारे पानी की झील है। कर्नल टॉड ने अपनी पुस्तक में इस झील का उल्लेख किया है।
सीकर के प्रमुख मेले व त्यौहार
- खाटू श्याम बाबा का मेला — खाटू श्यामजी
- शाकम्भरी माता — शाकम्भरी
- बालेश्वर मेला — बालेश्वर
- जीण माता का मेला — रेवासा ग्राम
सीकर के चर्चित व्यक्ति
- भैरोसिंह शेखावत — देश के पूर्व उपराष्ट्रपति एवं राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके भैरोंसिंह सीकर जिले के खाचरियावास गाँव के निवासी हैं। यह राज्य के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।
- श्रीमती प्रतिभा पाटिल — देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का ससुराल सीकर के छोटी लोसल गाँव में हैं। इनके पति देवीसिंह शेखावत हैं।
- कृपाल सिंह शेखावत — ब्ल्यू पॉटरी को विदेश में पहचान दिलाने वाले प्रसिद्ध चित्रकार कृपालसिंह सीकर के रहने वाले है।
- मोहम्मद युसुफ खान — जेवली ग्राम (लक्ष्मण गढ़, सीकर) कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित।
- सुधीर जाखड़ — सीकर निवासी सुधीर राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार 2007 से सम्मानित है।
- गौरव गोयल — राजस्थान में सबसे कम आयु के I.A.S. बनने वाले गौरव गोयल सीकर जिले के हैं।
सीकर के प्रमुख मंदिर
- जीणमाता, सीकर — सीकर में रेवासा ग्राम से दक्षिण की ओर अरावली पर्वतमाला की उपत्यका में यह स्थित है। जीण माता को भँवरों वाली माता भी कहा जाता है।
- खाट श्याम जी — सीकर जिले के खाटू ग्राम में यह तीर्थ स्थित है। यहाँ भगवान कृष्ण के ही स्वरूप श्यामजी का मंदिर है। यहाँ श्यामजी की शीश पूजा ही की जाती है। मुखाकृति दाढ़ी मूंछ से समन्वित है। श्याम बाबा को ‘शीशदानी बाबा’ के नाम से भी जाना जताा है।
- गणेश्वर का शिव मंदिर — गणेश्वर का शिव मंदिर श्रद्धा और भक्ति का पूज्य स्थल है। यहाँ गरम पानी का झरना, जिसे ‘गालव गंगा’ मंदिर कहते हैं, आकर्षण का केन्द्र है।
- हर्षनाथ का मंदिर — हर्ष की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में 10वीं सदी की लिंगोद्भव मूर्ति में ब्रह्मा व विष्णु को शिवलिंग का आदि एवं अंत जानने हेतु परिक्रमा करते हुए दिखाया गया है। हर्षनाथ मंदिर 956 ई. में विग्रहराज चौहान के काल में निर्मित कराया गया। इस मंदिर का निर्माण हर्षगिरि पर वि.स. 1013 की आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को पूर्ण हुआ। यह अल्लट नाम के शैव आचार्य द्वारा बनवाया गया था। यहाँ श्री हर्ष’ के नाम से महादेव शिव की उपासना की जाती थी। हर्षनाथ के मंदिर को 3 दिसम्बर, 1834 को प्रकाश में लाने का श्रेय सार्जेन्ट ई.डीन को है।
- श्री शाकम्भरी माता का मंदिर — यह आस्था केन्द्र सकराय धाम, सीकर में अरावली पर्वत में मालकेतु पर्वत पर स्थित है। मूल रूप से यह मंदिर सेठ मंडन ने 647 ई. में बनाया गया। इस मंदिर में ब्रह्माणी व रुद्राणी की दो मूर्तियाँ है। ब्रह्माणी की मूर्ति संगमरमर व रुद्राणी की स्थानीय पत्थर की बनी है।
- श्री पार्श्वनाथ अतिशयमंदिर — खण्डेला गाँव एक ओर कांतली नदी के उद्गम स्थल के लिए जाना जाता है, दूसरी ओर यहाँ 23वें जैन क्षेत्र (खण्डेला) तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी का अतिशयकारी मंदिर है। इस स्थान को खण्डेलवाल जैनों का उद्गम स्थल भी माना जाता है।
- चित्रकूट धाम, नीमड़ा — सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में नीमड़ा गाँव में स्थित गोपाल मंदिर । राधा-कृष्ण जी का यह मंदिर नीमड़ा संत गोपालदास द्वारा बनवाया गया था। इसलिए इसे गोपाल मंदिर कहा जाता है। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला चतुर्दशी को यहाँ विशाल मेला भरता है।
- सप्त गौमाता मंदिर — रैवासा धाम में एक सप्त गौ माता मंदिर का निर्माण किया गया है जो भारत का चौथा एवं राजस्थान का रैवासा धाम प्रथम गौ माता मंदिर है।
सीकर के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- लक्ष्मणगढ़ दुर्ग — लक्ष्मणगढ़ दुर्ग का निर्माण लक्ष्मणगढ़ कस्बे में बेड़ नामक पहाड़ी पर सीकर के राव राजा लक्ष्मणसिंह ने सन् 1805 में कराया था। यह किला अपनी विशिष्ट निर्माण कला के लिए जाना जाता है।
- गणेश्वर टीला — नीम का थाना के निकट काँतली नदी के उदगम स्थल पर स्थित इस टीले के उत्खनन पर ताम्रयुगान नीम सभ्यता के अवशेष बहतायत से मिले हैं। गणेश्वर सभ्यता को ‘ताम्रयुगीन सभ्यताओ का जनना कहा जाता है।
- सरस्वती पुस्तकालय — दुर्लभ प्राचीन ग्रन्थों, चित्रों एवं पाण्डुलिपियों के विशाल संग्रह का सरस्वती पुस्तकालय सीकर जिले पुस्तकालय के फतेहपुर कस्बे में स्थित है।
- प्रीतमपुरी की झील — कावंट ग्राम (सीकर) में स्थित झील।
महत्त्वपूर्ण तथ्य :-
- सीकर जिला ‘शेखावाटी की हृदय स्थली’ के रूप में जाना जाता है।
- कांतली, मंथा, पावटा, कावत यहाँ की मुख्य नदियाँ है।
- यह जिला पहले जयपुर राज्य के एक ठिकाने के रूप में जाना जाता था। तत्कालीन जयपुर राज्य की तोरावाटी निजामत एवं सवाई रामगढ़ तहसील का मुख्यालय नीम का थाना, सांभर निजामत की दातारामगढ़ तहसील एवं प्रमुख नगर श्रीमाधोपुर व खण्डेला ठिकाने को शामिल करके इसे जिले का रूप दिया गया।
- सीकर जिले के मध्यभाग को पनढाल कहा जाता है जहाँ से उत्तर, दक्षिण व पूर्व की ओर बहाव क्षेत्र है।
- यह राज्य का पहला हाईटेक जिला है।
- भेड़ प्रजनन व अनुसंधान केन्द्र-फतेहपुर (सीकर)।
- कच्छी-घोड़ी नृत्य-शेखावाटी क्षेत्र का यह प्रसिद्ध नृत्य पैटर्न बनाने की कला के लिए लोकप्रिय है।
- राजस्थान में अन्तिम सती 1987 में दीवराला ग्राम की मोहन सिंह की पत्नी रूप कंवर हुई थी। दीवराला ग्राम (सीकर) में है।
- शेखावाटी के भित्ति चित्रों में लोक जीवन की झांकी सर्वाधिक देखने को मिलती है।
- शेखावाटी बकरी – इस नस्ल की बकरियों के सींग नहीं होते हैं। इस प्रकार की यह विश्व की एकमात्र नस्ल है। यह शेखावाटी के सीकर व झुन्झुनू में पायी जाती है।
- राज्य का प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र सीकर जिले के ही फतेहपुरवाटी गाँव में स्थापित किया गया है।
- लक्ष्मणगढ़ की हवेलियाँ : लक्ष्मणगढ़ की हवेलियाँ भी सुन्दर चित्रकारी के लिए जानी जाती है। इन हवेलियाँ में सनवतराम चौखाणी की हवेली, शिवनारायण मिर्जामल कायला की वहेली, बालमुकुन्द बंशीधर राठी की हवेली, रमाविलास सांगरिया हवेली, केसरदेव सर्राफ की हवेली, मुल्तान चंद केडिया की हवेली, शिकारिया भवन, जिजोड़िया हवेली, जवाहरमल पंसारी की हवेली, तोलाराम परशुराम पुरिया की हवेली, मुरली मनोहर मंदिर, रघुनाथ जी का मंदिर तथा नाथजी का आश्रम आदि दर्शनीय हैं।
- बलेखण — सीकर में स्थित इस गाँव में देश का सबसे बड़ा बकरी उद्योग पालन फार्म है। यहाँ देश का पहला स्टाल फिडिंग निजी फार्म हैं, जहाँ कृत्रिम गर्भाधान द्वारा भेड़-बकरियों की देशी-विदेशी नस्लें तैयार की जा रही है।
- देवराला : यह 1987 में रूपकँवर सती काण्ड के कारण देवराला चर्चा में आया।
- खण्डेला गाँव: यह गाँव गोटा किनारी उद्योग के लिए जाना जाता है।
- पाटोदा : यह गाँव अपने प्रसिद्ध लूगड़ों के लिए जाना जाता है।
- रेशमा महल : यह सीकर में है। इसका संबंध नेपाल के गिरिराज प्रसाद कोइराला के पूर्वजों से बताया जाता है।
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