राजस्थान जिला दर्शन (बाड़मेर) : बाड़मेर जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan

By | June 14, 2021
Barmer jila darshan

बाड़मेर जिला दर्शन : बाड़मेर जिले की सम्पूर्ण जानकारी 

परमार राजा धरणीधर के पुत्र बाहदा राव ने बाड़मेर नगर बसाया। कभी मालानी (12वीं सदी में) कहे जाने वाला वर्तमान बाड़मेर जिला 1949 में जोधपुर राज्य को राजस्थान में मिलाने के बाद स्थापित हआ था। यह राज्य का क्षेत्रफल का दृष्टि दूसरा सबसे बडा जिला है। बाड़मेर जिले के अन्तर्राष्ट्रीय (पाकिस्तान) व अन्तर्राज्यीय (गुजरात से) दोनों प्रकार की सीमाएँ लगती है। यह थार मरुस्थल का एक भाग है। दूर-दूर तक रेत के शुष्क टीले यहा की पहचान है। इस जिले की मांगणियार व लंगा लोक गायिकी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। चलो बाड़मेर के बारे में और पढ़ते है –

  • बाड़मेर का क्षेत्रफल : 28387 वर्ग किमी.
  • नगरीय क्षेत्रफल – 45.01 वर्ग किलोमीटर
  • बाड़मेर की मानचित्र स्थिति – 24°58′ से 26°32′ उत्तरी अक्षांश तथा 70°5′ से 72°52′ पूर्वी देशान्तर।
  • बाड़मेर जिले को बाड़मेर को मालानी, श्रीमाल, किरात कूप, शिवकूप तथा कला व हस्तशिल्प का सिरमौर भी कहा जाता है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा सबसे बडा जिला बाडमेर राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाक सीमा पर स्थित है।
  • बाड़मेर जिले में बहने वाली प्रमुख नदी लूनी है। इसकी सहायक सूकड़ी एवं मीठड़ी नदियां हैं।
  • जिले के पूर्वी भाग में सिवाना तहसील में अरावली की छितरी पहाड़ियाँ है जिन्हें ‘छप्पन के पहाड़’ के नाम से जाना जाता है।
  • बाड़मेर राजस्थान का ऐसा जिला है जो अन्तरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय दोनों सीमाएँ बनाता है।
  • यहां की पहाड़ियों में सबसे ऊँची पहाड़ी हल्देश्वर है, जो सिवाणा में स्थित है।
  • बाड़मेर क्षेत्र मुख्य रूप से मारवाड़ के अंतर्गत जोधपुर रियासत का भाग रहा है।
  • यहां पंचभद्रा खारे पानी की झील है। इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के द्वारा नमक के स्फटिक बनाते हैं। इस झील का नमक राजस्थान में सर्वश्रेष्ठ नमक है तथा इस झील का नमक समुद्र के नमक से मिलता-जुलता है। इस झील के नमक में 98% NaCl है, तथा पंचभद्रा झील का नमक वर्षा पर निर्भर नहीं है, क्योंकि इस झील में पर्याप्त मात्रा में स्थानीय भू-गर्भिक जल की प्राप्ति हो जाती है।

बाड़मेर के प्रमुख मेले व त्यौहार 

  • सावण का मेला — सिवाना
  • मल्लीनाथ पशु मेला — तिलवाड़ा
  • रणछोड़राय का मेला — खेड़ (रैबारी जाति का मुख्यआस्था स्थल )
  • आलमजी का मेला — धोरीमना
  • बजरंग पशु मेला — सिणधरी
  • जोगमाया का मेला — चालकना
  • सूइयों का मेला — चौहटन
  • थार महोत्सव — बाड़मेर

बाड़मेर के प्रमुख मंदिर

  • मल्लीनाथ मंदिर — तिलवाड़ा में मल्लीनाथ जी का समाधि स्थल है। यहाँ उनका प्रसिद्ध मंदिर है।
  • ब्रहमा का मंदिर आसोतरा — आसोतरा, बाड़मेर में ब्रह्मा का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की मूर्ति स्थापना 1984 ई. में की गई। इसे सिद्ध पुरुष खेताराम जी महाराज ने बनवाया।
  • श्री रणछोड़रायजी का मंदिर — यह प्रमुख वैष्णव तीर्थ एवं हिन्दुओं का पवित्र धाम है जो लूनी नदी के किनारे स्थित है। खेड़ में भूरिया का बाबा तथा खोड़िया बाबा रैबारियों के आराध्य देव हैं। यहाँ पंचमुखी महादेव मंदिर, खोडिया हनुमान मंदिर आदि मंदिर भी हैं।
  • श्री नाकोड़ा — बालोतरा के पश्चिम में भाकरियाँ नामक पहाड़ी पर जैन मतावलम्बियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान ‘नाकोड़ा’ है, जिसे मेवानगर के जैन तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 12-13वीं शताब्दी में हुआ था। मुख्य मंदिर में तेईसवें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। यहाँ नाकोड़ा भैरव जो भी अधिष्ठापित हैं। भगवान श्री पार्श्वनाथ तथा अधिष्ठायक देव भैरव जी की महिमा इतनी विख्यात है कि भक्तों द्वारा इन्हें ‘हाथ का हुजूर’ व ‘जागती जोत’ माना जाता है। प्रतिवर्ष तीर्थकर पार्श्वनाथ के जन्म महोत्सव के दिन पौष कृष्णा दशमी को यहाँ विशाल मेला लगता है।
  • किराडू के मंदिर — किराडू प्राचीनकाल में परमार शासकों की राजधानी किरात कूप के नाम से विख्यात था। बाड़मेर के हाथमा गाँव के निकट एक पहाड़ी के नीचे स्थित किराडू 10वीं व 11वीं शती के विष्णु व शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ सर्वप्रसिद्ध सोमेश्वर मंदिर है। यह किराडू का सबसे प्रमुख एवं बड़ा मंदिर है। किराडू की स्थापत्य कला भारतीय नागर शैली की है। सोमेश्वर मंदिर नागर शैली के मंदिर की परम्परा में शिव मंदिरों की श्रेणी में महामारु गुर्जर शैली की एक उच्च कोटि की बानगी है। किराडू के मंदिरों के पास पहाड़ी पर महिषासुर मर्दिनी की त्रिपाद मूर्ति है । किराडू को इतिहास, पुरातत्व एवं अध्यात्म की त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। यहाँ सोमेश्वर मंदिर के अलावा रणछोड़ मंदिर व शिव मंदिर भी स्थित हैं। यहाँ मिथुन मूर्तियों की भव्यता के कारण इसे ‘राजस्थान का खजुराहो’ की संज्ञा दी गई है।
  • वीरातरा माता — चौहटन तहसील में पहाड़ियों पर भोपा जनजाति की कुलदेवी वीरातरा माता का भव्य मंदिर है। यहाँ प्रतिवर्ष माघ एवं भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को मेला भरता है।
  • नागणेची माता का मंदिर — बाड़मेर जिले में पचपदरा के पास नागालो गाँव में नागणेची माता की लकड़ी की मूर्ति दर्शनीय है।

बाड़मेर के चर्चित व्यक्ति

  • जसवंत सिंह — पूर्व सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल के हैं। इन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “जिन्ना भारत विभाजन के आइने में ” है।
  • डॉ. महावीर गोलेच्छा — विश्व के सर्वश्रेष्ठ 25 न्यूरोलोजिस्ट में शामिल हैं। राष्ट्रपति युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित है
  • फ्टीनेंट कर्नल हणूत सिंह — 1971 के महावीर चक्र विजेता।
  • महाराजा खंगारमल — प्रसिद्ध खड़ताल वादक। 26 जनवरी, 2009 को पदम्भूषण से अलंकृत।

बाड़मेर के पर्यटक व दार्शनिक स्थल 

  • कोटड़ा दुर्ग — शिव तहसील के कोटड़ा गाँव में एक छोटी भाखरी पर सोनारगढ़ के आकार का यह दुर्ग बना है। किले में सुंदर शिल्प आकृतियाँ व सरगला कुआँ दर्शनीय है।
  • गडरा का शहीद स्मारक — 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए 14 रेल्वे कर्मचारियों की स्मृति में निर्मित स्मारक जहाँ प्रतिवर्ष स्मारक, बाड़मेर 9 सितम्बर को उत्तरी रेल्वे मेन्स यूनियन की तरफ से एक मेले का आयोजन होता है।
  • सिवाणा दुर्ग — छप्पन की पहाड़ियों में पँवार शासक वीर नारायण द्वारा वि.सं. 1100 के लगभग निर्मित। बाद में इस पर नाडौल के चौहानों का अधिकार हो गया।
  • जूना बाड़मेर — मुनाबाव मार्ग पर बाड़मेर से 40 किमी. दूरी पर प्राचीन बाड़मेर शहर ‘जूना बाड़मेर के ध्वंशावशेष अभी भी मौजूद हैं।
  • पीपलूंद — यहाँ हल्देश्वर महादेव का मंदिर है। इसे मारवाड़ का ‘लघु माउण्ट आबू’ कहा जाता है।
  • बाटाडू का कुआँ –– ‘रेगिस्तान के जलमहल’ के नाम से प्रसिद्ध संगमरमर का बना यह भव्य कुआँ बाड़मेर की बायतुपंचायत समिति क्षेत्र में स्थित है।
  • अन्य स्थल — नीमड़ी, सफेद अखाड़ा, वाकल माता का मंदिर आदि।

महत्त्वपूर्ण तथ्य :-

  • यहाँ की मलीर प्रिंट, अजरख प्रिंट, बकरी के बालों से बनी जट पट्टियाँ, उड़खा गाँव का लकड़ी पर नक्काशी का काम प्रसिद्ध है।
  • भारत का दूसरा रिसर्च डिजाइन सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (RDSO ) बाड़मेर में स्थापित किया गया है।
  • बाडमेर के मुनाबाव से पाकिस्तान के खोखरापार के बीच चलाई गई ट्रेन थार एक्सप्रेस है। यह ट्रेन 18 फरवरी, 2006 को चलाई गई।
  • यहाँ के बड़वना गाँव में लंगा जाति निवास करती है। रामसर की विकलांग गायिका रुक्मा मांगणियार तथा शिव तहसील के झांपली गाँव के खड़ताल वादक सद्दीक खाँ इसी जिले के कलाकार हैं।
  • सिवाणा को बाड़मेर का कश्मीर’ कहा जाता है।
  • पचपदरा (बाड़मेर) में प्रदेश की प्रथम तेल रिफाइनरी स्थापित की जाएगी।
  • चौहटन में कूमठ के पेड़ों से गोंद प्राप्त होता है।
  • देश की पहली ओरण पंचायत-‘ढोक’ बाड़मेर में है।
  • जालीपा-कपूरड़ी-निजी क्षेत्र पर आधारित राज्य का प्रथम बिजलीघर। यह लिग्नाइट कोयले से चलता है।
  • यहां इंदिरा गाँधी नहर परियोजना है इसका अंतिम बिन्दु गडरा रोड़ बाड़मेर जिले में है।
  • राज्य का प्रथम लिग्नाइट कोयला आधारित विद्युत संयंत्र गिरल, बाड़मेर में है।
  • पाकिस्तान के नजदीक का रेलवे प्लेटफॉर्म मुनाबाव है, जो बाड़मेर में हैं। यह स्टेशन पाकिस्तान के खोखरापार को जोड़ता है।
  • प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी का जन्म बाड़मेर जिले की शिव तहसील के उडूकाश्मेरु गाँव में हुआ।
  • पत्थर मार होली बाड़मेर की प्रसिद्ध है।
  • बाड़मेर में शीतलाष्टमी को थार समारोह का आयोजन होता है।
  • बकरी के बालों से जट पट्टियों की बुनाई का मुख्य केन्द्र जसोल (बाड़मेर) में है।
  • छप्पन की पहाड़ियाँ बाड़मेर में है।

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