राजस्थान की प्रमुख झीले : (Rajasthan ki pramukh jhile)
राजस्थान की इस वीर भूमि पर अनेक झीले है इसमें प्रकृतिक झीलों के साथ साथ मानव द्वारा निर्मित खूबसूरत कृत्रिम झीले भी है ये झीले अपने अनुपम सौंदर्य के कारण देश-विदेश के पर्यटकों का मन मोह लेती है। ये झीले पेयजल के लिए भी बहुत उपयोगी है और यह अपने समीप शहरों व गावो में जल की आपूर्ति भी करती है. कई स्थानों पर पर राजा महाराजाओ में अपने ऐशो- आराम एवं मनोरंजन के लिए झीलों का निर्माण करवाया तो कई बार सेठ साहूकारों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर जान साधारण के लिए लाभार्थी झीले बनवाई। चलो इन झीलों के बारे में पढ़ते है।
राजस्थान में दो प्रकार की झीले पाई जाती है : (A) खारे पानी की झीले (B) मीठे पानी की झीले।
(A) खारे पानी की झीले :-
- सांभर झील – जयपुर के साभर में स्थित यह झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी (चिल्का के बाद) खारे पानी की झील है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यह झील 240 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है इस झील की लंबाई 32 किमी तथा चौड़ाई 3 किमी से 12 किमी है. इसका अपवाद क्षेत्र लगभग 500 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. ग्रीष्मकाल में वाष्पीकरण की दर के कारण इसका आकार बहुत कम हो जाता है. इस झील के जल में नमक बनाया जाता है भारत के कुल नामक का 8.7 % नमक यहां से उत्पादित होता है। यहां सांभर साल्ट्स लिमिटेड द्वारा नमक का उत्पादन किया जाता है.यहां सोडियम सल्फेट यंत्र की भी स्थापना की गई है जिसे 50 टन सोडियम सल्फेट प्रतिदिन बनाया जाता है।
- डीडवाना झील – डीडवाना झील यह झील नागौर जिले में डीडवाना में स्थित है. यह झील सांभर झील से 65 किमी दूर उत्तर पश्चिम में स्थित है. इस झील की लंबाई 4 किमी तथा चौड़ाई 3 से 12 किमी है। इस झील से वर्ष भर नमक तैयार किया जाता है लेकिन यहां का नमक उत्तम किस्म का नहीं होता है इस कारण इस नमक का प्रयोग सामान्य खाने में नहीं किया जाता इसका उपयोग चमड़ा और रंगाई उद्योग में किया जाता है. डीडवाना नगर से 8 किमी दूर पर सोडियम सल्फेट का एक संयंत्र स्थापित किया गया है इस झील से प्राप्त नमक की खपत बीकानेर एवं जोधपुर जिले में होती है।
- पचपदरा झील – यह झील बालोतरा (बाड़मेर) में पचपद्र स्थान पर है. यह झील लगभग 25 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है यह झील वर्षा के जल पर निर्भर नहीं है बल्कि इसे नियतवाही जल स्त्रोत से खारे जल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति होती रहती है यह झील भी नमक का महत्वपूर्ण स्त्रोत है इस जेल के खारे जल में 98% सोडियम क्लोराइड की मात्रा पाई जाती है.यहां राजस्थान सरकार का राजकीय लवण स्त्रोत है। इस झील में खारवाल जाती के लोग मोरली झाड़ी के उपयोग द्वारा नमक के स्फटिक बनाते है।
- लूणकरणसर झील – यह झील बीकानेर जिले में बीकानेर के उत्तर पूर्व में लगभग 80 किमी दूर पर स्थित है. यह झील लूणकरणसर कस्बे के समीप स्थित है. इस झील के पानी में लवणता की कमी है अतः इस झील से बहुत कम मात्रा में नमक का उत्पादन होता है
(B) मीठे पानी की झीले :-
- जयसमंद झील – इस झील को ढेबर झीलके नाम से भी पुकारा जाता है, यह झील उदयपुर शहर से 50 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित है इसका निर्माण राजा जयसिंह ने 1685 -1691 में गोमती नदी पर बांध बनाकर बनाया था। यह बांध 375 मीटर लंबा एवं 35 मीटर ऊंचा है यह झील लगभग 15 किमी लंबी और 8 किमी चौड़ी है इस झील में लगभग सात दीप (टापू) है। जिस पर भील एवं मीणा जाती के लोग रहते हैं. सबसे बड़े टापू का नाम ‘बाबा का भांगड़ा’ तथा सबसे छोटे टापू का नाम ‘प्यारी’ है। इस झील में 6 कलात्मक छतरिया एव प्रासाद बने हुए हैं जो अत्यंत ही सुंदर है। यह झील पहाड़ियों से घिरी हुई है यह झील शांत एवं मनोरम वातावरण में स्थित है इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य मनोहारी है जो पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इस झील राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील की झील है। इस झील से सिंचाई हेतु दो नहरे निकाली गई है जिसका नाम श्यामपुरा एवं भाट नहरे है।
- राजसमंद झील – यह झील उदयपुर से 64 किमी दूर कांकरोली स्टेशन के निकट स्थित है इस झील का निर्माण 1662 में राजा राज सिंह ने करवाया था। यह झील 6.5 किमी लंबी और 3 किमी चौड़ी है. इस झील का पानी पेयजल एवं सिंचाई के लिए प्रयुक्त होता है। इस झील का उत्तरी भाग “नौचौकी” के नाम से प्रसिद्ध है जहां संगमरमर के 25 शिलालेखों पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में अंकित है। इस झील में गोमती नदी गिरती है।
- पिछोला झील – यह उदयपुर की सबसे सुंदर एवं प्रसिद्ध झील है इस झील का यह नाम पिछोला नामक गांव के आधार पर पड़ा है। इस झील के मध्य में जल मंदिर एवं जल निवास महल है जिसका प्रतिबिंब झील में दिखाई देता है। खुर्रम (शाहजहाँ) ने विद्रोही दिनों यही आकर शरण ली थी। इस झील का निर्माण 14 वी शताब्दी के अंत में राणा लाखा के शासन काल में एक बंजारे ने करवाया था। उदयपुर की स्थापना के समय महाराजा उदय सिंह ने इस झील को विस्तृत रूप दिया। राजस्थान का सबसे बड़ा राज प्रासाद पिछोला झील के किनारे स्थित है। इस झील के पूर्व किनारे पर खड़ा ‘सिटी पैलेस’ तथा ‘दक्षिणी उद्यान’ झील के कारण ही सौभनीय है। शाहजहां को ताजमहल बनाने की प्रेरणा इसी झील के दृश्य को देखकर मिले थे।
- आना सागर झील – यह अजमेर में स्थित एक सुप्रसिद्ध एवं बड़ी सुहावनी झील है राजस्थान का दूसरा प्रमुख नगर अजमेर इस कृत्रिम झील के किनारे स्थित है। इस झील का निर्माण 1137 ई. में पृथ्वीराज चौहान के दादा आना जी ने करवाया था. इस झील से अजमेर शहर को पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इस झील का क्षेत्रफल 12 वर्ग किमी है। इस झील की सुंदरता से प्रभावित होकर जहांगीर ने 1637 ई. में इसके नीचे ‘दौलत पार्क’ नामक उद्यान का निर्माण कराया जो वर्तमान में ‘सुभाष उद्यान’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस झील के चारों ओर संगमरमर के दरवाजे स्थित हैं वर्षाकाल में जब यह झील भर जाती है तब इसका पानी अजमेर में ही स्थित एक अन्य झील ‘फाई सागर’ में छोड़ दिया जाता है।
- फाई सागर झील – यह झील अजमेर शहर में स्थित है यह एक प्राकृतिक झील है इसका पानी आना सागर में भेज दिया जाता है क्योंकि इसमें सालों भर पानी रहता है। 12 वीं सदी में निर्मित इस जल को लूणी नदी से विकसित किया गया है।
- फतेहसागर झील – इस झील का निर्माण महाराजा जयसिंहने कराया था. कालांतर में भारी वर्षा के कारण बांध के टूट जाने से यह झील नष्ट हो गई महाराजा फतेह सिंह ने इस झील का पुनर्निर्माण कराया। इस झील के मध्य में नेहरू पार्क नामक एक द्वीप स्थित है. इस झील के किनारे में पर्वत श्रंखला तथा बाग बगीचे दर्शनीय है. इस झील के किनारे चेतक पर सवार महाराणा प्रताप की कांस्य प्रतिमा है जो इसकी स्मृति को ताजा कर देती है। यह पिछोला झील से एक नहर द्वारा मिली हुई है जब पिछोला झील पूरी तरह भर जाती है तो उसका पानी फतेह सागर में छोड़ दिया जाता है। इस झील की आधारशिला ड्यूक ऑफ़ कनाडा द्वारा रखी गई थी। इसमें एक टापू पर सौर वैधशाला स्थित है।
- उदय सागर झील – यह झील उदयपुर से 6 किलोमीटर पूर्व की ओर स्थित है इस कृत्रिम झील का निर्माण महाराजा उदयसिंह ने कराया था। आयड़ नदी इसमें गिरती है तथा इसके बाद उसका नाम बेड़च नदी हो जाता है।
- गलता झील – यह झील जयपुर से 10 किमी की दूरी पर स्थित है जयपुर स्थित यह झील हिंदू धर्मावलियों का प्रमुख पवित्र स्थल है इसमें स्नान करना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है
- कोलायत झील – कोलायत झील यह बीकानेर में कोलायत कस्बे में स्थित झील , जहाँ कपिल मुनि की तपोभूमि व आश्रम स्थित है. यहा प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता है। एवं पवित्र स्नान होता है।
- नक्की झील – नक्की झील माउंट आबू में स्थित अत्यंत ही खूबसूरत झील है। इस झील के बारे में एक पौराणिक गाथा है कि एक देवता ने अपने नाखूनों से इस झील का निर्माण कराया था इसलिए इसे नक्की झील कहा जाता है. यह राजस्थान की सबसे ऊँची झील है टॉड रॉक व नॉन रॉक यह स्थित विशाल चटाने है। झील में नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है इस झील के किनारे चौथी शताब्दी में निर्मित रघुनाथ जी का मंदिर है जो इस झील की पावनता प्रदान करता है। इस झील से 1 किमी की दूरी पर हनीमून प्वाइंट नामक एक चट्टान है जो नवविवाहिता के लिए एक रोमांचकारी स्थल है
- जवाहर सागर झील – जवाहर सागर झील यह कोटा में स्थित एक आकर्षक झील है जिसे बांध के रूप में बनाया गया है .
- सिलीसेढ़ झील – अलवर जिले में अलवर-जयपुर सड़क मार्ग पर स्थित यह झील अरावली मालाओ के बिच में चारो और से सुरम्य वनो से घिरी हुई अत्यंत मनमोहन दिखाई देती है। यह अलवर के महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी हेतु एक शाही महल व् लॉज बनवाया , जो आज ‘लेक पैलेस होटल’ के रूप में चल रहा है . सरिस्का अभयारण यही स्थित है।
- नवलखा झील – नवलखा झील बूंदी में पहाड़ों से गिरी एक आकर्षक झील है।
- कालियाना झील – कालियाना झील जोधपुर शहर से 11 किमी दूर जैसलमेर रोड पर स्थित है। यह अत्यंत ही सुंदर कृत्रिम झील है इसका निर्माण महाराणा प्रताप सिंह ने कराया था सूर्यास्त के समय इस झील का दृश्य अत्यंत ही मनोहारी होता है।
- पुष्कर झील – यह झील पुष्कर (अजमेर) में स्थित है यह झील हिन्दुओ की पवित्र झील है। यह हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला भरता है। इस झील के तीन और पहाड़ी स्थित है जिससे इसमें वर्षभर पानी रहता है इसके चारों तरफ नहाने के लिए घाट बनाए हुए हैं वर्षा ऋतु में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत ही मनोहारी होता है इस दिल के चारों और हिंदुओं के मंदिर बने हुए हैं जिसमें ब्रह्मा जी का मंदिर सबसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण है इस पवित्र झील के पश्चिम में एक सदी पहाड़ी की चोटी पर ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री का मंदिर है अतः पुष्कर झील एक उसके आसपास का क्षेत्र एक पवित्र तीर्थ स्थल बनाया गया है जहां वर्षभर तीर्थ की यात्री पहुंचते रहते हैं।
- बालसमंद झील – जोधपुर में स्थित इस झील का निर्माण सन 1159 में प्रतिहार शासक बालक राव ने करवाया था।
जिलानुसार राजस्थान की झीलें.
जिले | झीलें |
चित्तौड़गढ़ | भूपालसागर, राणा प्रताप सागर। |
बूंदी | नवलक्ख झील। |
राजसमंद | राजसमंद झील। |
अजमेर | आना सागर , फॉयसागर , पुष्कर। |
अलवर | सिलीसेढ़ , जयसागर , विजयसागर। |
बीकानेर | लूणकरणसर , अनूपसागर ,कोलायत। |
बाड़मेर | पचपदरा झील। |
डूंगरपुर | गैब सागर , सोमकमला। |
सिरोही | नक्की झील। |
जोधपुर | बालसमंद , उम्मेदसागर ,कायलाना । |
जैसलमेर | अमरसागर, बुझ की झील, गड़ीसर। |
चूरू | तालछापर झील। |
भरतपुर | मोती झील। |
जयपुर | सांभर, छापरवाडा। |
उदयपुर | उदयसागर ,फतेहसागर ,पिछोला ,जयसमंद। |
कोटा | जवाहर सागर झील। |
पाली | वाकली , सरदार समंद। |
हनुमानगढ़ | तलवाड़ा झील। |
धौलपुर | तालाबशाही झील। |
नागौर | डीडवाना झील। |
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