राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय :(Major museums of Rajasthan)
(1) राजपूताना म्यूजियम ,अजमेर — अजमेर के ऐतिहासिक दुर्ग अकबर का किला (मैगजीन) में इस म्यूजियम की स्थापना की गई और 19 अक्टूबर 1908 को राजपूताना में गवर्नर जनरल के एजेंट (AGG) श्री कॉल्विन द्वारा इसका विधिवत रूप से उद्घाटन किया गया।
(2) प्रिंस अल्बर्ट म्यूजियम, जयपुर — यह राज्य में स्थापित किया गया प्रथम संग्रहालय है जिसकी नीव महाराजा रामसिंह के शासनकाल में सन 1876 में प्रिंस अल्बर्ट ने रखी और उन्हीं के नाम पर इस संग्रहालय का नाम अल्बर्ट म्यूजियम रखा गया। 1887 में सर एडवर्ड बेडफोर्ड ने इसका उद्घाटन कर विधिवत रूप से इसे जनता के लिए खोल दिया।
(3) गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम, बीकानेर — गंगानगर बीकानेर क्षेत्र से महत्वपूर्ण पूरा सामग्री का संकलन कर इटली के विद्वान डॉक्टर एल.पी. टेसीटोरी ने इस संग्रहालय को जन्म दिया और 5 नवंबर 1937 को इस संग्रहालय का उद्घाटन गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो ने किया। यहां पल्लू से प्राप्त जैन सरस्वती की आकर्षक प्रतिमा है।
(4) राजकीय संग्रहालय ,भरतपुर — यहां भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग परिसर में यहां 5 मिनट लंबा कुषाण कालीन एक मुखी शिवलिंग अनुपम निधि है क्योंकि यहां शिव शीर्ष पर जटा के स्थान पर पगड़ी दिखाई देती है इसमें शिव को उष्णशी रूप से प्रस्तुत किया गया है।भरतपुर संग्रहालय प्रस्तर प्रतिमाओं का अनुपम भंडार है।
(5) विक्टोरिया हॉल म्यूजियम ,गुलाब बाग ,उदयपुर — मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह के शासन कल में सन 1887 में इसका निर्माण पूर्ण हुआ और सन 1890 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
(6) अलवर संग्रहालय — अलवर राज्य के अंतिम शासक तेज सिंह के शासनकाल में नवंबर 1940 में अलवर संग्रहालय की स्थापना हुई मेजर हार्वे का इसमें उल्लेखनीय योगदान है।
(7) करणी म्यूजियम, बीकानेर — यह संग्रहालय बीकानेर के ऐतिहासिक जूनागढ़ जिले के गंगा निवास में स्थित है बीकानेर के शासकों के जीवन वृत्त से जुड़ी घटनाओं और राठौड़ वंश के राज्य चिह्न व प्राचीन अस्त्र शस्त्रों के संग्रह की दृष्टि से करणी म्यूजियम का महत्वपूर्ण स्थान है।
(8) श्री रामचरण प्राच्य विद्या पीठ एवं संग्रहालय जयपुर — आचार्य रामचरण शर्मा व्याकुल द्वारा सन 1960 में जयपुर में स्थापित अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के जेष्ठ पुत्र मिर्जा अब्दुल्ला का मूल काबेद नामा (वैवाहिक पत्र) इस संग्रहालय की उपलब्धि है। जयपुर का प्राचीनतम अखबार (सन 1856) भी यह दृष्टव्य है। जयपुर की संरचना का पूर्ण विवरण एवं तत्सम्बन्धी नक्शा यहां है।
(10) चित्तौड़गढ़ संग्रहालय — चित्तौड़गढ़ क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और पूरा सामग्री के प्रदर्शन के लिए चित्तौड़गढ़ संग्रहालय की स्थापना फतेह प्रकाश महल में की गई इस भवन का निर्माण मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह ने कराया था।
(11) लोक संस्कृति शोध संस्थान ,नगर श्री, चुरु — इस संग्रहालय की स्थापना चूरू में वर्ष 1964 में रामनवमी के दिन प्रसिद्ध इतिहासकार श्री गोविंद अग्रवाल ने की।
(12) सर छोटू राम स्मारक संग्रहालय — हनुमानगढ़ जिले के संगरिया में इस संग्रहालय की स्थापना स्वामी केशवानंद द्वारा की गई थी।
(13) सरदार म्यूजियम जोधपुर — जोधपुर में सन 1909 में इस संग्रहालय की स्थापना की गई।
(14) श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय पाली — पाली का श्री बांगड़ राज के संग्रहालय में मानव सभ्यता के उषाकाल से लेकर अधावति पल्लवित एवं पुष्पित स्थानीय इंद्रधनुषी संस्कृति के विविध आयामों को दर्शाने वाले अवशेषों का संग्रह है। यहां 8-9 वी शताब्दी की जीवंत स्वामी की दुर्लभ कांस्य प्रतिमा भी है। सुगाली माता की काली प्रतिमा जो सन 1857 के भारतीय राष्ट्रीय संग्राम में स्थानीय जनता की प्रेरणा स्त्रोत रही है यहां प्रदर्शित है। आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह द्वारा पूज्य यह उनकी लोक देवी है।
(15) सिटी पैलेस संग्रहालय, जयपुर — जयपुर नगर प्रसाद (सिटी पैलेस) के एक हिस्से में महाराजा सवाई सिंह (द्वितीय) संग्रहालय की स्थापना सन 1959 में हुई। जहां पूर्व जयपुर राजपरिवार का बहुमूल्य संग्रह प्रदर्शित है।
(16) संग्रहालय झालावाड़ — हाडोती क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए सन 1915 में झालावाड़ में क्षेत्र का पहला संग्रहालय स्थापित किया गया।
(17) हल्दीघाटी संग्रहालय — वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन की यादों को संजोने वाले इस संग्रहालय का निर्माण राजसमंद जिले में उदयपुर के एक शिक्षक मोहनलाल श्रीमाली ने किया है। हल्दीघाटी संग्रहालय भक्ति और स्वाभिमान के प्रतीक राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप के जीवन की घटनाओं को और दृष्टताओ को विविध रूप से संजोकर ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण का अनूठा प्रयास है हल्दीघाटी संग्रहालय का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
(18) श्री सरस्वती पुस्तकालय — शेखावाटी जनपद के सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में स्थित पुस्तकालय जिसमें अलभ्यल दुर्लभ ग्रंथ साहित्यिक पुस्तकें, नक्शे ,पांडुलिपि ओर तांत्रिक ग्रंथ आदि उपलब्ध है। यह पुस्तकालय श्री सरस्वती पुस्तकालय फतेहपुर ट्रस्ट द्वारा संचालित है।
(19) महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र, जोधपुर — कला व संगीत के संरक्षक रहे महाराजा मानसिक के नाम से जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र की स्थापना 2 जनवरी 1805 को की गई। इस केंद्र का मुख्य लक्ष्य कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में विद्यमान शोध सामग्री का अनुसंधान आधुनिक दृष्टिकोण से करना है।
(20) राजस्थान राज्य अभिलेखागार — राजस्थान राज्य अभिलेखागार की स्थापना सन 1955 में की गई। 1960 में इसे जयपुर से बीकानेर स्थानांतरित कर दिया गया। अभिलेखागार का प्रमुख कार्य राज्य में के स्थाई महत्व के अभिलेखों को सुरक्षित प्रदान करना तथा आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, न्यायालय निजी संस्थानों एवं नागरिकों को उपलब्ध कराना है। राजस्थान राज्य अभिलेखागार का मुख्यालय बीकानेर में तथा शाखाएं क्रमशः जयपुर कोटा उदयपुर अलवर भरतपुर एवं अजमेर में स्थित है।
(21) शार्दुल म्यूजियम बीकानेर — यह संग्रहालय बीकानेर के लालगढ़ पैलेस में स्थित है
(22) बिरला तकनीकी म्यूजियम — राजस्थान के झुंझुनू जिले में पिलानी में बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) संस्था के परिसर में बिरला तकनीकी म्यूजियम स्थित है। जो देश का प्रथम उद्योग व तकनीकी म्यूजियम है। इसकी स्थापना सन 1954 में की गई थी इस म्यूजियम में कोलमाइंस (कोयले की खानो) का प्रदर्शन पूरी एशिया में अकेला माना जाता है।
(23) कालीबंगा संग्रहालय — 1985-86 में कालीबंगा के उत्खनन से प्राप्त मिट्टी के बहुसंखक बर्तन, हाथी दांत, धातु पत्रों के मनके ,खिलौने, औजार ओर अस्त्र आदि पुरावशेष का संग्रहालय कालीबंगा (हनुमानगढ़) में स्थापित है।
(24) उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय — छितर पत्थर से निर्मित उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण सन 1929 में जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने अकाल की विभीषिका से नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से आरंभ करवाया था। सन 1942 में इसका निर्माण कार्य संपन्न हुआ इस भवन के वास्तुकार रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्किटेक्चर लंदन के अध्यक्ष रहे एच यू लांचेस्टर और उनके सहयोगी जे.आर.लॉज इन थे। इस संग्रहालय के एक कक्ष में महाराजा उम्मेद सिंह से लेकर महाराजा हनुवंत सिंह तक के कार्यकाल में हवाई उड़ानों के दौरान होने वाली एयर क्राफ्ट के विभिन्न मॉडल रखे गए हैं उल्लेखनीय है कि मारवाड़ रियासत का प्रथम हवाई अड्डा जोधपुर में ही स्थापित हुआ था। इसका श्रेय महाराजा उम्मेद सिंह को ही जाता है इस संग्रहालय में घड़ियों का अनूठा संग्रह भी है।
(25) लोक वाक्यों का संग्रहालय — राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर में मारवाड़ अचल के लोकवाद्यों का समृद्ध संग्रहालय स्थित है।
(26) गुड़ियों का संग्रहालय जयपुर — यह संग्रहालय जयपुर में जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर मुक बधिर विद्यालय के प्रांगण में स्थापित है।इसका निर्माण भगवानी बाई सेखासरिया चैरिटी ट्रस्ट जयपुर द्वारा कराया गया।
(27) प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर — इसकी स्थापना 1955 में जोधपुर में कई गई यह प्रतिष्ठान राजस्थान राज्य की पांडुलिपियों एवं राज्य विद्या की सामग्री का भंडार है।
(28) लोक कला संग्रहालय उदयपुर — भारतीय लोक कला मंडल परिसर उदयपुर में स्थित इस संग्रहालय में प्रदर्शनकारी लोक कलाओं का मूल्यवान अलभ्य संग्रह है।
(29) राव माधो सिंह ट्रस्ट संग्रहालय कोटा — इस संग्रहालय की स्थापना कोटा एवं हाडोती अंचल की कला संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर के दिग्दर्शन की दृष्टि से कोटा के गढ़ परिसर स्थित महलों में की गई थी।
(30) आहट संग्रहालय, आहट (उदयपुर) — राजस्थान पुरातत्व विभाग की ओर से संचालित होने वाला संग्रहालय इसमें 4000 वर्ष पूर्व की सभ्यता का प्रदर्शन है।
(31) सिटी पैलेस म्यूजियम , उदयपुर — यह संग्रहालय उदयपुर के भव्य राज महल सिटी पैलेस में स्थित है इसका निर्माण महाराणा अमर सिंह प्रथम ने कराया था।
(32) नाहटा संग्रहालय सरदारशहर (चुरु) — इस संग्रहालय की विशेषता स्व. मालचंद जांगिड़ और उनके परिवारजनों द्वारा उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं।
(33) प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, जयपुर — यह रामनिवास उद्यान के मध्य में बने जंतुआलय में स्थित है। जयपुर में बना यह संग्रहालय जीव-जंतुओं पक्षियों तथा प्राकृतिक संसार की जानकारी देने वाला प्रदेश का एकमात्र व अनोखा संग्रहालय है। इसके निर्माण का श्रेय प्रतिद्वंद्वी वन्यजीव विशेषज्ञ पद्मश्री कैलाश सांखला को जाता है।
(34) जनजातीय संग्रहालय — माणिक्य लाल वर्मा जनजाति शोध संस्थान उदयपुर द्वारा राज्य के विभिन्न जनजातियों के संस्कृति एवं सामाजिक आर्थिक व्यवस्था को सुरक्षित एवं प्रदर्शित करने के उद्देश्य से 30 दिसंबर 1983 को संस्थान में जनजाति संग्रहालय की स्थापना की गई।
(35) मेहरानगढ़ संग्रहालय, जोधपुर — यह संग्रहालय मेहरानगढ़ दुर्ग में अवस्थित है। यहां कुंवर महेंद्र सिंह के प्रयासों से राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में पहने जाने वाली पाग-पगड़ीया प्रदर्शित की गई है।
(36) जैसलमेर संग्रहालय ,जैसलमेर — जैसलमेर संग्रहालय की नींव 5 दिसंबर 1979 को रखी गई तथा 14 फरवरी 1984 को उदघाटन कर जनता के लिए खोल दिया गया। यह संग्रहालय राजस्थान का प्राचीन वस्तुओ का संग्रहालय है ।यह संग्रहालय जैसलमेर के पोकरण में भादरिया नाम स्थान पर स्थित है।
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