राजस्थान की प्रमुख नदियाँ
मानव सभ्यता के विकास में प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा है क्योंकि मानव एवं जीव जगत के लिए जल भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भोजन एवं वायु विश्व की अधिकांश मानव सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी है जिनका मुख्य कारण जल की पर्याप्त उपलब्धता एवं वहा नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से भूमि का अधिक उपजाऊ होना था इसके अतिरिक्त नदिया परिवहन के साधन के रूप में भी प्रयुक्त होती थी जिसे विभिन्न संस्कृतियों का आदान प्रदान संभव हुआ नदिया यहां आदिकाल से ही मानव के जीवन, संस्कृति एवं सभ्यता की पोषण एवं मानव क्रियाओ का पालनकर रही है। वैसे भी राजस्थान की जलवायु शुष्क है अतः एक शुष्क प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए नदियों का महत्व और भी बढ़ जाता है हमारे प्रदेश में नदियों से ना केवल पेयजल व सिंचाई हेतु जल प्राप्त होता है बल्कि इससे जलविद्युत भी उत्पन्न होती है जो प्रदेश में औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती हैराजस्थान की अधिकांश नदियां बरसाती नदियां हैं लूणी, बनास, चंबल, माही, बाणगंगा, कोठारी आदि प्रदेश की मुख्य नदियां हैं यहां नित्यवाही नदिया बहुत कम है. केवल चंबल और माही ही वर्षभर प्रवाहित होने वाली नदी मानी जाती है परंतु राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित राजस्थान का भूगोल लेखन श्री हरि मोहन सक्सेना ने केवल चंबल नदी को ही नित्यवाही नदी बताया गया है राज्य के मध्यवर्ती भाग में अवस्थित अरावली पर्वत श्रंखला भारत के महान जल विभाजन का कार्य करती है तथा प्रदेश की अपवाह प्रणाली नदियों को निम्न दो भागों में विभाजित करती है चलो आज इसके बारे में पढ़ते हैं:
बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियां
चंबल, बनास,कालीसिंध, पार्वती, बाणगंगा, खारी, बेड़च, गंभीरी आदि नदियां अरावली के पूर्व भाग में विद्यमान है। इसमें कुछ नदियों का उद्गम स्थल अरावली का पूर्वी ढलान तथा कुछ भाग मध्य प्रदेश का विद्यांचल पर्वत है यह सभी नदियां अपना जल यमुना नदी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में ले जाती है इनमें चंबल के अलावा अन्य सभी नदियों में जल का स्रोत वर्षा पर आधारित है वर्षा ऋतु में वर्षा होने पर यह में पर्याप्त मात्रा में जल प्रवाहित होता है. वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद धीरे-धीरे इन में जल का प्रवाह भी सूख जाता है इनमें चंबल ही एक बारहमासी नदी है
अरब सागर में चले जाने वाली नदियां
माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, लूणी आदि। पश्चिमी बनास व लूणी नदी गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है इसमें से अधिकांश नदियां अरावली के पश्चिमी भाग में प्रवाहित होती है जो कि एक वृष्टि छाया प्रदेश है इस प्रदेश में वर्षा की मात्रा कम होने के कारण इन नदियों में पानी बहुत कम अवधि के लिए प्रवेश रहता है साथ ही मरू प्रदेश में होकर बहने के कारण यह कालांतर में अपना रास्ता भी परिवर्तन कर लेती है अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियों में केवल माही नदी ही बारहमासी नदी है।
तांत्रिक जल प्रवाह की नदियां
यह नदियां हैं कंकनी, कांतली, साबी, घग्घर, मेंथा, रुपनगढ़ आदि
राज्य की प्रमुख नदिया
(A) उतरी व पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदियाँ :-
- लूणी नदी – यह राजस्थान की एक महत्वपूर्ण नदी है यह अजमेर के आनासागर झील के समीप के नाग पहाड़ियों से निकलकर लगभग 32 किमी की दूरी तक दक्षिण पश्चिम में बहती है। इसके पश्चात यह जोधपुर बाड़मेर एवं जालौर के अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों से होकर कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है 495 किमी यह राजस्थान की एक मुख्य नदी है जो पूर्णतया बरसाती है। इस नदी का उद्गम स्थल से लेकर बाड़मेर जिले के बालोतरा तक मीठा है लेकिन इसके बाद इस का जल खारा होता चला जाता है इसकी सहायक नदियों में जवाई, सुकड़ी, लीलड़ी, जोजरी, मीठड़ी सागी आदि प्रमुख है वर्षा की कमी के कारण कहीं-कहीं मार्ग में सूख जाने पर यह नदी दिखाई नहीं पड़ती है इस नदी को लवणवती (खारे पानी की नदी) के नाम से भी जाना जाता है बालोतरा लूणी के तट पर स्थित प्रमुख नगर है। इसके उद्गम स्थल पर इसको सागरमती फिर गोविंदगढ़ के निकट पुष्कर से आने वाली सरस्वती नदी मिलनेेे के बाद में लूणी कहतेे हैं लूनी नदी में दाई और मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी जोजड़ी है।
- जवाई नदी – जवाई नदी का उद्गम पाली व उदयपुर जिले की सीमा पर स्थित बाली (पाली) के गोरिया गांव की पहाड़ियों से होता है यह पाली और जालौर में बहती है जालौर में सायला गांव के पास इसमें खारी नदी मिल जाती है बाड़मेर में यह लूणी नदी में मिल जाती है सुमेरपुर पाली के निकट इस पर जवाई बांध बना हुआ है। बाड़ी नदी, सुकड़ी नदी तथा खारी नदी किसकी सहायक नदी है इसे पश्चिम राजस्थान में गंगा कहते हैं।
- खारी नदी – खारी नदी का उद्गम सिरोही जिले के शेरगांव की पहाड़ियों से होता है यह सिरोही व जालोर में बहती हुई जालौर के सायला गांव में जवाई नदी में मिल जाती है यहीं से इसका नाम सुकड़ी-2 हो जाता है
- सुकड़ी नदी – सुकड़ी नदी का उद्गम पाली के देसूरी से होता है सुकड़ी नदी पाली, जालौर और बाड़मेर में बहती है यह बाड़मेर में समदड़ी गांव में लूनी नदी मेंं मिल जाती है। जालौर के बांकली ग्राम में इस पर बांकली बांध बनाया गया है।
- बाण्डी नदी – बाण्डी नदी का उद्गम पाली जिले से होता है यह नदी पाली में बहकर पाली और जोधपुर की सीमा पर लाखार गांव (पाली) में लूणी नदी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदी गुहिया नदी है। पाली में इस नदी पर हेमावास बांध बना हुवा है इसे केमिकल रिवर भी कहते है।
- सागी नदी – सागी नदी का उद्गम जालौर जिले की जसवंतपुरा की पहाड़ियों से होता है।यह नदी जालौर ओर बाड़मेर में बहती है बाड़मेर में यह गांधव गांव के निकट लूणी नदी में मिल जाती है.
- जोजड़ी नदी – जोजड़ी नदी का उद्गम नागौर जिले के पोंडलु गांव की पहाड़ियों से होता है यह नदी नागौर जोधपुर में बहती है. यह लूनी नदी की एकमात्र सहायक नदी है जो उसके दाएं और से मिलती है तथा जिसका उद्गम अरावली की पहाड़ियों से नहीं होता है लूणी की अन्य सभी सहायक नदियां अरावली की पहाड़ियों से निकलती है एवं लूनी नदी में बाई ओर से मिलती है.
- घग्घर नदी – घग्घर नदी का उदगम हिमाचल प्रदेश के कालका, शिमला के पास शिवालिंग की पहाड़ियों से होता है यह पौराणिक काल से सरस्वती नदी की सहायक नदी थी. राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गांव के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है लेकिन वर्षा ऋतु में यह गंगानगर में सूरतगढ़ से अनूपगढ़ के कुछ गांव में पहुंच जाती है इस नदी में अक्सर बाढ़ आती रहती है कई बार इसकी बाढ़ का पानी फोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) तक पहुंच जाता है यह वैदिक संस्कृति की सरस्वती नदी के पेटे में बहती है यह मृत नदी के नाम से भी विख्यात है.
- कांतली नदी – कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में खंडेला की पहाड़ियों से होता है इसका बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है. ताम्र युगीन प्रसिद्ध गणेश्वर सभ्यता इसी नदी के पास फली-फूली थी. यह नदी सीकर व झुंझुनूं में बहने के बाद चूरू की सीमा पर जाकर विलुप्त हो जाती है.
- काकनी नदी – काकनी नदी का उद्गम जैसलमेर जिले के कोटारी गांव से होता है. कुछ दूर बहने के बाद यह नदी विलुप्त हो जाती है अधिक पानी आ जाने पर यह जैसलमेर की बुज झील में गिरती है. स्थानीय भाषा में इस नदी को मसूरदी नदी भी कहते हैं.
(B) दक्षिण – पश्चिम राजस्थान की नदिया :-
- पश्चिमी बनास- पश्चिमी बनास का उद्गम सिरोही के दक्षिण में नया सानवारा गांव के निकट अरावली की पहाड़ियों से होता है. सिरोही में बहकर यह गुजरात के बनास कांठा जिले में प्रवेश करती है व फिर लिटिल रण (कच्छ के रण) में विलुप्त हो जाती है गुजरात का “डीसा” नगर इस नदी पर बसा हुआ है. इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां सुकली, सीपू, खारी, कुकड़ी है. इसकी मुख्य सहायक नदी सुकड़ी नदी सिरोही जिले में सिलारी की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात में पश्चिमी बनास में मिल जाती है।
- साबरमती नदी – साबरमती नदी उदयपुर जिले की कोटडी तहसील में अरावली की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात के साबरकांठा जिले में प्रवेश कर गुजरात में बहकर खंभात की खाड़ी में गिर जाती है. गांधीनगर इसी नदी पर बसा हुआ है इसकी सहायक नदियां वाकल,सई , वेटरक, माजम है. जो सभी डूंगरपुर या उदयपुर से निकलती है यह गुजरात की प्रमुख नदी है.
- वाकल नदी – वाकल नदी का उद्गम उदयपुर में गोगुंदा की पहाड़ियों से होता है इसकी सहायक नदियां मानसी और पारवी है यह उदयपुर में बहकर गुजरात व उदयपुर की सीमा पर साबरमती में मिल जाती है
- सेई नदी – यह उदयपुर जिले के पादरना गांव की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात में साबरमती में मिल जाती है।
(C) दक्षिण राजस्थान की प्रमुख नदिया :-
- माही नदी – माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में धार जिले में मिण्डा गांव के निकट विंध्यांचल की पहाड़ियों में मेहंद झील से होता है। यह अपने उद्गम स्थल से बहती हुई राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू के पास प्रवेश करती है तथा बांसवाड़ा डूंगरपुर की सीमा बनाते हुए. गुजरात के माही सागर में प्रवेश करती है फिर आगे जाकर खंभात की खाड़ी में गिर जाती है इस नदी पर कडाना बांध भी बना हुआ है इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान भी कहते हैं. इसे वागड़ व कांठल की गंगा तथा दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहते हैं राजस्थान में इसकी लंबाई 171 किमी है यह नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है इस की सहायक नदियां सोम, जाखम, अनास, चाप, भादर आदि है. बेणेश्वर (डूंगरपुर) स्थान पर माही में सोम एवं जाखम नदियां आकर मिलती है यहां इस के संगम को त्रिवेणी कहते हैं जहां हर वर्ष माघ पूर्णिमा को आदिवासियों का बेणेश्वर मेला (आदिवासियों का कुंभ) लगता है बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव के पास इस पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।
- सोम नदी – सोम नदी का उद्गम स्थथल उदयपुर जिले में ऋषभदेव के समीप बा बलवाड़ा केेेे जंगलों में स्थित
- सोन नदी – सोन नदी का उद्गम स्थल उदयपुर जिले में ऋषभदेव के समीप बाबलवाड़ा के जंगलों में स्थित बिछामेडा से होता है . जाखम, टीडी व गोमती इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। दक्षिण पूर्व दिशा में प्रवाहित होने वाली पश्चात यह नदी डूंगरपुर की पूर्वी सीमा पर बहती हुई अंत में बेणेश्वर के समीप माही नदी में मिल जाती है.
- जाखम नदी – जाखम नदी यह नदी प्रतापगढ़ जिले में छोटी सादड़ी अनुमंडल के जखमिया गांव से निकलकर धरियावाड़ तहसील में प्रवेश करती है यह नदी फिर अंत में बिलाड़ा गांव के निकट सोम नदी में मिल जाती है प्रतापगढ़ के अनुपपुरा में इस नदी पर जाखम बांध बनाया गया है
- अनास नदी – अनास नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में आम्बेर गांव के निकट विद्यांचल की पहाड़ियों से होता है। यह राजस्थान में बांसवाड़ा के मेलडीखेड़ा गांव के पास प्रवेश करती है यह डूंगरपुर में गलियांकोर्ट के निकट माही में मिल जाती है हरण इसकी सहायक नदी है।
- मोरेन नदी – मोरेन नदी यह डूंगरपुर की पहाड़ियों से निकलकर गलियाकोट के निकट माही में मिल जाती है
(D) दक्षिण पूर्वी राजस्थान की प्रमुख नदिया :-
- चम्बल नदी – चंबल नदी यह नदी राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण नदी है इस नदी का प्राचीन नाम चर्मण्यवती है। इसे कामधेनु के नाम से भी जाना जाता है यह नदी म.प्र में मऊ छावनी के पास विद्यांचल पर्वत के उत्तरी ढाल की जानापाव पहाड़ी से निकलती है तथा मालवा के उत्तर दिशा की ओर 325 किमी बहने के बाद चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान राज्य में प्रवेश करती है। यहां से लगभग 100 किमी तक संकरे एवं गहरे गार्ज में बहने के पश्चात यह खुली घाटी में बहती है. प्रसिद्ध चूलिया जल प्रताप भैंसरोडगढ़ के समीप चंबल नदी के तट पर स्थित है. यह नदी सवाई माधोपुर में पालिया से धौलपुर के पिनाहट तक लगभग 241 किमी लंबाई में राजस्थान मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है कुल 965 किमी बहने के पश्चात यह नदी उत्तर प्रदेश में इटावा के समीप यमुना नदी में मिल जाती है राजस्थान में यह नदी कोटा बूंदी सवाई माधोपुर एवं धौलपुर जिले में होकर प्रवाहित होती है। कालीसिंध, कुरेल, पार्वती, बामणी, मेंज, बनास आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। चंबल नदी का जल ग्रहण क्षेत्र 72 हजार 32 वर्ग किमी है, जो राज्य में प्रवाहित होने वाली सभी नदियों की तुलना में अधिक है। राज्य का कोटा नगर चंबल नदी के तट पर स्थित है। चंबल नदी पर गांधी सागर बांध, जवाई सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध एवं कोटा बैराज का निर्माण किया गया है. चंबल नदी राजस्थान में प्रवाहित होने वाली एकमात्र ऐसी नदी है जिसमें वर्ष पर जल भरा रहता है राजस्थान में यह नदी 135 किमी का मार्ग तय करती है।
- कुनु (कुनोर) नदी – कुनु नदी का उद्गम गुना (मध्य प्रदेश) से होता है यह मध्य प्रदेश के गुना उत्तरभाग से निकलकर बारा जिले के मुसेरी गांव में प्रवेश करती है। कराल व रेमपी इसकी सहायक नदियां हैं
- पार्वती नदी – पार्वती नदी मध्य प्रदेश में विन्ध्यपर्वत श्रेणी में सेहोर क्षेत्र से निकलकर राजस्थान में यह बारा में करियाहाट के निकट छतरपुरा गांव में प्रवेश करती है तथा बारा व कोटा में बहकर सवाई माधोपुर में कोटा की सीमा पर पाली गांव के निकट चंबल में मिल जाती है पार्वती नदी की सहायक नदियां लासी, बरनी, अंधेरी, बाणगंगा (हाडोती क्षेत्र में) है.
- कालीसिंध – यह नदी देवास (मध्य प्रदेश) के पास बागली गांव की पहाड़ियों से निकलकर यह नदी झालावाड़ में रायपुर के निकट बिंदा गांव में राजस्थान में प्रवेश करती है राज्य में यह झालावाड़ तथा कोटा व बारा की सीमा पर बहती हुई कोटा के नानेरा ग्राम के समीप चंबल में मिल जाती है
- कुराल नदी – यह नदी ऊपरमाल के पठार से निकलकर बूंदी के पूर्व में बहती हुई चंबल में मिल जाती है
- आहू नदी – यह नदी सुसनेर मध्य प्रदेश के निकट से निकलकर झालावाड़ में नंदपुर के समीप प्रवेश करती है तथा कोटा व झालावाड़ की सीमा पर बहती हुई गागरोन झालावाड़ में कालीसिंध में मिल जाती है गागरोन का किला आहू कालीसिंध नदी के संगम पर स्थित है
- नेवज नदी – यह नदी मध्य प्रदेश में विन्ध्यपर्वत के उत्तरी भाग से निकलकर राजगढ़ (मध्य प्रदेश) जिले से होती हुई राजस्थान में झालावाड़ जिले में कोलूखेड़ी के निकट प्रवेश करती है वह बारा तथा झालावाड़ की सीमा पर मवासा (अकलेरा) के निकट परवन नदी में मिल जाती है।
- परवन नदी – यह नदी मध्य प्रदेश से निकलकर राजस्थान में झालावाड़ में खारीबोर गांव के निकट प्रवेश कर झालावाड़ कोटा व बारा में बहकर कोटा की सीमा पर पलायता (बारां) के निकट कालीसिंध में मिल जाती है. बारा जिले में शेरगढ़ अभ्यारण इसी नदी के पास है।
- मेज नदी – मेज नदी भीलवाड़ा की मांडलगढ़ तहसील से निकलकर बूंदी जिले में बहती हुई कोटा के भैंस खाना के पास बूंदी के सीमा पर चंबल में मिल जाती है।
- अलनिया नदी – अलनिया नदी कोटा के मुकुंदवाड़ा की पहाड़ियों से निकलती है और यहां से निकल कर नोटाना गांव में चंबल में मिल जाती है।
- छोटी काली सिंध – छोटी काली सिंध मध्य प्रदेश से निकलकर झालावाड़ जिले में मांगसी गांव के पास प्रवेश करती है एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर झालावाड़ के मुकेरिया गांव के निकट चंबल नदी में मिल जाती है।
- बामणी या ब्राह्मणी नदी – ब्राह्मणी नदी का उद्गम हरीपुरा (चित्तौड़गढ़) की पहाड़ियों से होता है और यह आगे चलकर भैंसरोडगढ़ के निकट चंबल में मिल जाती है।
- बनास नदी – बनास नदी इस नदी को ‘वन की आशा’ के उपनाम से जाना जाता है यह नदी राजस्थान जिले के कुंभलगढ़ के समीप खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है तथा बनास नदी का उद्गम राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ के समीप खमनोर की पहाड़ियों से होता है यह राजस्थान के राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक जिलों से होकर बहती हुई सवाई माधोपुर में रोड़ावत के निकट चंबल में मिल जाती है. बेड़ाच, कोठारी, खारी, मेनाल, बाड़ी, धुंध, मोरेल नदी इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। इस नदी का बहाव पूर्णता राजस्थान राज्य में है यह राजस्थान राज्य में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी है इसका जल ग्रहण क्षेत्र 46,570 वर्ग किमी है जो राज्य में सर्वाधिक है. टोंक, नाथद्वारा, सवाई माधोपुर आदि बनास नदियों के तट पर स्थित प्रमुख नगर है।
- बेड़च नदी – इस नदी का प्राचीन नाम ‘आयड़’ नदी है यह नदी बनास नदी की सहायक नदी है. यह नदी राजस्थान के भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ जिले से होकर प्रवाहित होती है। यह नदी उदयपुर के समीप गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलकर चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिले में प्रवाहित होने के पश्चात मांडलगढ़ के समीप त्रिवेणी पर बनास नदी में जा मिलती है. वागन, आरी, गंभीरी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
- गंभीरी नदी – यह नदी बेड़च की सहायक नदी है, जो मुख्यतः चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है
- कोठारी नदी – कोठारी नदी का उद्गम दिवेर (राजसमंद) से होता है. यह राजसमंद व भीलवाड़ा जिले में बहकर नंदराय (भीलवाड़ा) के निकट बनास में मिल जाती है। इसकी सहायक नदी बहामनी भीलवाड़ा के चोप्पन गांव में इसमें मिलती है. कोठारी नदी पर भीलवाड़ा को पेयजल की आपूर्ति करने हेतु मांडल से 8 किमी दूर मेजा बांध निर्मित है।
- खारी नदी – यह नदी राजसमंद में देवगढ़ तहसील के बिजराल गांव की पहाड़ियों से निकलती है तथा राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर व टोंक में बहकर देवली के निकट बनास में मिल जाती है मानसी किसकी सहायक नदी है।
- मानसी नदी – यह नदी भीलवाड़ा जिले के करणगढ़ के पास से निकलकर अजमेर जिले के सीमा पर खारी नदी में मिल जाती है।
- माशी नदी – मासी नदी यह नदी किशनगढ़ (अजमेर) की पहाड़ियों से निकलकर अजमेर व टोंकमें बहती हुई टोंक के निकट बनास में मिल जाती है। बांडी किसकी सहायक नदी है जो जयपुर जिले से निकलकर टोंक जिले में इसमें मिल जाती है।
- मोरेल नदी – मोरेल नदी यह नदी जयपुर जिले की बस्सी तहसील के चैनपुरा गांव की पहाड़ियों से निकल कर दौसा, सवाई माधोपुर में बहती हुई करौली के हाड़ोती गांव के निकट बनास में मिल जाती है. ढूंढ इसकी मुख्य सहायक नदी है. जो जयपुर से निकलती है
- कालीसिल नदी – यह करौली जिले के सपोटरा तहसील की पहाड़ियों से निकलकर हाडोती के निकट मोरल के साथ मिलकर बनास में मिल जाती है।
- डाई नदी – अजमेर जिले के नसीराबाद तहसील में अरावली की पहाड़ियों से निकलकर अजमेर में टोंक जिले में बीसलपुर के निकट बनास में मिल जाती है।
- सोहदरा नदी – सोहगरा नदी यह अजमेर जिले से निकलकर टोंक जिले के ढ़ूँढ़िया गांव के पास में मासी में मिल जाती है।
(E) पूर्वी राजस्थान की नदियाँ :-
- साबी नदी – साबी नदी यह नदी जयपुर व सीकर जिलों की सीमा पर सेवर (जयपुर) पहाड़ियों से निकलकर अलवर जिले की बानसूर, बहरोड, किशनगढ़, बास, तिजारा तहसील में बहने के बाद हरियाणा में गुड़गांव जिले में कुछ दूर तक प्रवाहित होकर पटौदी के उत्तर में भूमि में विलीन हो जाती है। साबी नदी वर्षा ऋतु में अपनी विनाशलीला के लिए प्रसिद्ध है।
- बाणगंगा – बाणगंगा नदी का उद्गम जयपुर के बैराठ की पहाड़ियों से होता है.
- मेन्था नदी – यह नदी जयपुर जिले के मनोहरपुर से निकलकर नागौर में प्रवेश कर सांभर झील में गिरती है।
- रुपनगढ़ नदी – यह नदी अजमेर के नाग पहाड़ रिजर्व फॉरेस्ट से निकलकर सांभर झील में गिरती है।
- गंभीरी नदी –
- गंभीरी नदी का उद्गम करौली से होता है यह नदी करौली, सवाई माधोपुर, भरतपुर में बहकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है. यह नदी धौलपुर में बहकर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना में मिल जाती है।
- पार्वती नदी – यह नदी करौली जिले की सपोटरा तहसील के छावर गांव की पहाड़ियों से निकलकर धौलपुर में गंभीरी नदी में मिल जाती है इस नदी पर धौलपुर में अंगाई गांव के पास पार्वती बांध (अंगाई बांध) बनाया गया है।
( IMPORTANT NOTE )
- राज्य में चूरू और बीकानेर ऐसे जिले हैं जहां कोई भी नदी नहीं है गंगानगर में यद्यपि प्रथक से कोई नदी नहीं है लेकिन वर्षा होने पर नगर की बाढ़ का पानी सूरतगढ़ अनूपगढ़ तक कभी-कभी और पोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) तक चला जाता है
- राज्य में लगभग 60% भूभाग पर आंतरिक जल प्रवाह प्रणाली का विस्तार है
- राज्य में पूर्णता बहने वाली सबसे लंबी नदी तथा सर्वाधिक जल ग्रहण क्षेत्र वाली नदी बनास है
- राज्य की सबसे लंबी नदी पर सर्वाधिक सतही जल वाली नदी चंबल है सर्वाधिक बांध चंबल नदी पर बने हुए हैं
- राज्य में कोटा संभाग में सर्वाधिक नदिया है
- अंतरराज्य सीमा राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा बनाने वाले राज्य की एकमात्र नदी चंबल है
- कानतली नदी का प्रवाह क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है
- माही, सोम और जाखम नदियों के संगम पर स्थित बेणेश्वर धाम वनवासियों (आदिवासियों) का महातीर्थ है.
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Sir enko download kese kr sktey h