राजस्थान जिला दर्शन (चूरू) : चूरू जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan .

By | June 22, 2021
Churu jila darshan
Churu jila darshan

चूरू जिला दर्शन : चूरू जिले की सम्पूर्ण जानकारी 

चूरू जिले की स्थापना चूहड़ा जाट ने 1620 ई. में की। स्वतंत्रता के समय यह बीकानेर रियासत का भाग था। 1 नवम्बर 1956 को पूर्ण एकीकरण के तहत चूरू को जिले का दर्जा दे दिया। दूर-दूर रेत के टीलों से आच्छादित एवं काले हिरणों के अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध चुरू जिला अपनी हवेलियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की कोठारी हवेली, ढोलामारु के चित्र, (life size paintings), छ: मंजिली सुराणा हवेली (जिसमें 1100 दरवाजे एवं खिड़कियाँ हैं),खेमका व पारखों की हवेलियाँ,दानचंद चौपड़ा की हवेली, कन्हैयालाल बागला की हवेली, आठ खम्भों की छतरी, टकडैतों की छतरियाँ, गंगाजी का मठ आदि प्रसिद्ध हैं।

  • क्षेत्रफल : 16830 वर्ग किमी.
  • चुरू जिले की मानचित्र स्थिति – 27°24′ से 29°0′ उत्तरी अक्षांश तथा 73°40′ से 75°41′ पूर्वी देशान्तर।
  • चुरू के पश्चिम में बीकानेर, उत्तर में हनुमानगढ़, पूर्व में हरियाणा व झुंझुनूं, दक्षिण पूर्व में सीकर तथा दक्षिण में नागौर है।
  • इस जिले की जलवायु शुष्क है तथा इसमें कोई नदी प्रवाहित नहीं होती है
  • चुरू जिला राज्य में सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला है।

चुरू के प्रमुख मेले व त्यौहार

  • भभूता सिद्ध का मेला — चंगोई (तारानगर)
  • गोगा मेला — ददरेवा
  • सालासर बालाजी का मेला — सालासर (सुजानगढ़)
  • साहवा का गुरुद्वारा मेला  —  साहवा (तारानगर)

चुरू के प्रमुख मंदिर

  • सालासर बालाजी — इस मंदिर की स्थापना 1754 ई. में महात्मा श्री मोहनदास जी ने की थी। सालासर के पूर्व में एक किमी दूर श्री हनुमान जी की जननी अंजना देवी का मंदिर भी है। यहाँ हनुमान जी का दाढ़ी-मूंछ युक्तव माथेपर तिलक युक्त विग्रह है इस प्रकार यह देश का पहला मंदिर है। आश्विन व चैत्र की पूर्णिमा को यहाँ विशेष मेले लगते हैं। मंदिर के बीच में एक जाल का पेड़ है जिस पर भक्त अपनी कामना पूर्ति के लिए नारियल और धागे बाँधते हैं । यह स्थल ‘सिद्ध हनुमान पीठ’ माना जाता है।
  • ददरेवा — भाद्रपद मास में कृष्णा नवमी (गोगानवमी) को मेला भरता है। यह गोगाजी का जन्म स्थान है। गोगानवमी को गोगाजी के राखी चढ़ाई जाती है।
  • तिरुपति बालाजी, सुजानगढ़ — वैंकटेश्वर फाउन्डेशन ट्रस्ट ने 1994 में सुजानगढ़ में भगवान वेंकटेश्वर तिरुपति बालाजी के मंदिर का निर्माण सुजानगढ़ करवाया। 75 फीट ऊँचे इस मंदिर का स्थापत्य एवं शिल्प देखने योग्य है। डॉ. एम. नागराज व डॉ. वैंकटाचार्य की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण हुआ। यह आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर की हूबहू प्रतिकृति है
  • सागर सिंधी मंदिर — यह अपनी बेजोड़ काँच की जड़ाई और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है।

चुरू के चर्चित व्यक्ति

  • खेमचन्द्र प्रकाश — सुजानगढ़ निवासी प्रख्यात संगीतकार लता मंगेशकर के गुरु माने जाते हैं।
  • गौरव शर्मा — गौरव शर्मा ने 20 मई, 2009 को माउण्ट एवरेस्ट फतह किया। चूरू निवासी गौरव शर्मा व जयपुर निवासी हरनाम सिंह ने अफ्रीका महाद्वीप की सर्वोच्च चोटी किलीमंजारो पर तिरंगा फहराया।
  • कर्नल किशन सिंह — राठौड़-प्रथम महावीर चक्र विजेता (1948) में।
  • भरत व्यास — प्रसिद्ध गीत -“ए मालिक तेरे बंदे हम”।
  • कृष्णा पूनियाँ — चूरू की पूनियाँ ने दिल्ली में आयोजित राष्ट्र मण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • भवानी शंकर कथक — पखावज के जादूगर।
  • देवेन्द्र झाझड़िया — एथेंस पैरा ओलम्पिक 2004 में स्वर्ण पदक। 2012 में पद्म श्री से सम्मानित।

चुरू के पर्यटन व दर्शनीय स्थल

  • ताल छापर वन्य — काले हिरणों की प्राकृतिक शरणस्थली यह वन्य जीव अभयारण्य सुजानगढ़ कस्बे के पास ताल छापर जीव अभयारण्य कस्बे में है। कहा जाता है कि यह महाभारत काल में गुरु दोणाचार्य का स्थान था। यहाँ सदी में ठण्डे स्थानों से कुरजां (डेमोसिल क्रेन), बार हैडेड गूज आदि प्रवासी पक्षी आते हैं। 
  • चुरु का किला — इस गिरी दुर्ग का निर्माण ठा. कुशालसिंह ने करवाया था। 1857 की क्रांति के दौरान इस किले की आजादी की रक्षा के लिए यहाँ के शासक शिवसिंह ने दुश्मनों पर चाँदी के गोले दागे थे। वर्तमान में इसमें बालिका विद्यालय चल रहा है।
  • सेठाणी का जोहड़ा — रतनगढ़ के निकट यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक स्थल है। इसका निर्माण भगवानदास बाग्ला की विधवा ने छप्पनिया अकाल के दौरान कराया था। 
  • नाहटा संग्रहालय — सरदार शहर में स्थित यह संग्रहालय अपने भित्ति चित्रों के लिए जाना जाता है।
  • अन्य स्थान — धर्मस्तूप (चुरू), साहवा का गुरुद्वारा (यहाँ गुरु नानक देव एवं सन् 1706 में गुरु गोविंदसिंह पधारे थे। इसकी स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया है।), चुरू का किला, बीनादेसर का किला, उगोजी महाराज की खड़ाऊ, बीघाजी का स्मारक, तिबोर के भित्ति चित्र, यती जी का उपासरा आदि। 

महत्वपूर्ण तथ्य :-

  • चुरू जिले के सुजानगढ़ को संगीतकारों का गढ़ कहा जाता है। 
  • राजस्थान का सर्वाधिक ठंडा व गर्म जिला चूरू।
  • इस जिले में तालछापर झील है।
  • मालचंद बादाम वाले चूरू के प्रसिद्ध काष्ठ शिल्पी है।
  • चूरू जिले में कोई नदी नहीं है।
  • इस जिले में तालछापर वन्य जीव अभयारण भी है, जो काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है।
  • सहकारी क्षेत्र का राज्य का प्रथम महिला मिनी बैंक-सालासर (चूरू) में है।
  • 1930 में चांदमल बहड़ ने धर्मस्तूप नामक स्थान पर भारतीय स्वतन्त्रता का झण्डा फहराया था। धर्मस्तूप को लाल घण्टाघर भी कहते है।
  • दूधवा खारा स्थान चूरू में है।
  • राज्य में सबसे कम वन-चूरू में है।
  • कबूतरी नृत्य चूरू का प्रसिद्ध है।

 आशा करता हु की आप को चूरू जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन )(Rajasthan gk) आप को पसंद आया होगा। इस पोस्ट में आपको चूरू जिले की जानकारी, चूरू जिले के मेले ,चूरू जिले के मंदिर और चूरू जिले के दार्शनिक स्थल बताए गए है। यह पोस्ट आपको पसंद आया तो चूरू जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन) को शेयर जरूर करे। और अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए हमारी वेबसाइट rajgktopic को विजिट करते रहे। धन्यवाद


यह भी पढ़े :-


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *