राजस्थान जिला दर्शन (बाराँ) : बाराँ जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan

By | June 10, 2021
 Baran Zila Darshan

बाराँ जिला दर्शन : बाराँ जिले की सम्पूर्ण जानकारी 

प्राचीनकाल में बाराँ भगवान विष्णु के वराह अवतार के कारण वराहनगरी के नाम से प्रसिद्ध रहा है। प्राचीन वराह नगरी प्राचीन समय में इसके अन्तर्गत बारह गाँव आते थे, इसलिए भी यह बारां कहलाया। यहाँ 15वीं सदी से पूर्व सोलंकी राजपूतों का शासन था। स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान के गठन (30 मार्च, 1949) के बाद यह कोटा जिले में शामिल किया गया। 10 अप्रैल, 1991 को कोटा से पृथक कर बारा जिले का गठन किया गया। बाराँ शहर के मध्य से पार्वती की सहायक बाणगगा नदी बहती है। बारां जिले में सहरिया जनजाति भी सर्वाधिक है।

  • बाराँ का क्षेत्रफल : 6992 वर्ग किमी है।
  • ग्रामीण क्षेत्रफल – 6909.22 वर्ग किलोमीटर है।
  • बाराँ का वन क्षेत्र – 2202.89 वर्ग किलोमीटर है।
  • मानचित्र के अनुसार बारां की स्थिति – 24°25′ से 25°55′ उत्तरी अक्षांश तथा 76°12′ से 76°26′ पूर्वी देशान्तर
  • बाराँ -राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में हाड़ौती क्षेत्र में आता है।
  • नदियाँ-पार्वती, परवन, कूकू, ल्हासी, रेतम।
  • अन्य जलाशय-हिण्डलोत, अँधेरी, परवन लिफ्ट परियोजना,
  • बाराँ में शेरगढ़ वन्य जीव अभयारण है, जिसकी स्थापना 30 जुलाई, 1983 को हुई।
  • सोरसेन (बारां) -गोडावण के लिए प्रसिद्ध यह शिकार निषेध क्षेत्र है। यहाँ पर हिरणों की आबादी तेजी से बढ़ी है।

बाराँ प्रमुख मेले व त्यौहार मेला

  • सीताबाड़ी का मेला — सीताबाड़ी केलवाड़ा
  • फूलडोल शोभा यात्रा उत्सव — किशनगंज (बाराँ)
  • रामेश्वर महादेव मेला — शाहबाद
  • बीजासण माता का मेला — छबड़ा, गूगोर
  • डोल मेला — बाराँ (डोल तालाब)
  • धनुष लीला — अटरु
  • ब्रह्माणी माता का मेला — सोरसन के पुराने दुर्ग में

बाराँ के प्रमुख मंदिर

  • गड़गच्च देवालय (अटरू बाँरा ) — इस मंदिर का निर्माण काल 10वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। अटरू का प्राचीन नाम अटरू (बारा) अटलपुरी था। यहाँ के फूल देवरा मंदिर को मामा-भांजा का मंदिर कहते हैं।
  • भण्डदेवरा शिवमंदिर (रामगढ़ किशनगंज, बाँरा ) — हाड़ौती का खजुराहो कहा जाने वाला यह मंदिर 10 वीं शताब्दी में नागर शैली में निर्मित है। भण्डदेवरा का अर्थ होता है- टूटा-फूटा देवालय। इसका निर्माण मेदवंशीय राजा मलयवर्मन शत्रु पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में करावाया गया था तथा वि.सं. 1219 (1162 ई.) में इसी वंश के राजा त्रिशावर्मन द्वारा इस देवालय का जीर्णोद्धार किया गया था। यह देवालय पंचायतन शैली का उत्कृष्ट नमूना है। यहाँ मिथुन मुद्रा में अनेक आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं इसलिए इसे राजस्थान का मिनी खजुराहोभी कहा जाता है। पहाड़ी पर किसनी एवं अन्नपूर्णा देवी के मंदिर हैं।
  • शाही जामा मस्जिद — शाहाबाद स्थित यह राजस्थान की बडी मस्जिदों में से एक है। यह औरंगजेब के समय में निर्मित है।
  • ब्रह्माणी माता मंदिर — यह मंदिर सोरसन के समीप है। इसे शैलाश्रय गहा मंदिर भी कहते हैं । यहाँ ब्रहमाणी माता की पीठ पर शृंगार किया जाता है एवं भक्तगण भी माता की पीठ के ही दर्शन करते हैं । यहाँ झालावाड़ के संस्थापकझाला जालिमसिंह ने सीढ़िया बनवाई थी।
  • काकनी मंदिर समूह — ये बारां जिले छीपाबड़ौद तहसील में मुकन्दरा की पहाड़ियों में परवन नदी के किनार स्थित है। ये शैव, वैष्णव एवं जैन मंदिर आठवीं सदी के बने हुए हैं।

बाराँ पर्यटन व दर्शनीय स्थल

  • शाहबाद दुर्ग — संवत 1577 ई. (सन् 1521 में) में चौहान राजा मुक्तामन (मुकुटमणिदेव) द्वारा मुकुन्दरा पर्वतश्रेणी की भामती पहाड़ी पर निर्मित दुर्ग। इसमें सावन भादों महल स्थित है।
  • सीताबाड़ी — केलवाड़ा गाँव के निकट स्थित यहाँ सीता व लक्ष्मण का प्राचीन मंदिर तथा वाल्मिकी मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम द्वारा त्याग दिये जाने पर सीतामाता यहीं (सीताबाड़ी में) आकर रही थी एवं लव-कुश को जन्म दिया था। यहाँ प्रसिद्ध लक्ष्मण कुण्ड, वाल्मिकी आश्रम, सीताकुण्ड, सूरज कुण्ड, रावण तलाई आदि स्थित हैं। यह सहरिया जनजाति का कुंभ माना जाता है क्योंकि वे यहाँ मृतकों के अस्थिकलश भी प्रवाहित करते हैं।
  • बाबाजी बाग (मांगरोल) — मांगरोल टेरीकोट खादी, ढाई कड़ी की रामलीला आदि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बाबाजी बाग का निर्माण (मांगरोल) शहीद पृथ्वी सिंह हाड़ा की स्मृति में करवाया गया है।
  • नाहरगढ़ — किशनगंज तहसील में दिल्ली के लाल किले की शैली में निर्मित दुर्ग जिसमें नेकनाम बाबा की दरगाह स्थित है।
  • दुगेरी व रेलावन — इन स्थानों पर एक ताम्रयुगीन सभ्यता जो आहड़कालीन थी, के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • बड़गाँव की बावड़ी — जयपुर-जबलपुर राजमार्ग पर बड़गाँव (अंता, बाराँ) में स्थित इस बावड़ी का निर्माण कोटा रियासत के तत्कालीन शासक शत्रुसाल की पटरानी जादौण ने करवाया था।
  • थानेदार नाथूसिंह की छतरी — थानेदार नाथूसिंह ने 20 सितम्बर, 1932 को डाकुओं से मुकाबला किया। उनकी स्मृति में कोटा महाराव उम्मेदसिंह ने इस छतरी का निर्माण करवाया।

महत्त्वपूर्ण तथ्य :-

  • मांगरोल — यहाँ पर शहीद पृथ्वीसिंह हाड़ा की स्मृति में निर्मित बाबाजी का बाग दर्शनीय है। मांगरोल की टेरीकोट साड़ी प्रसिद्ध है। यहाँ का 5 दिवसीय लोकोत्सव ढ़ाई कड़ी की रामलीला के लिए प्रसिद्ध है।
  • सहरिया जनजाति राजस्थान में सर्वाधिक शाहबाद व किशनगंज में निवास करती है।
  • रामगढ़ — यहाँ लौहा और चुम्बकीय गुण वाले पत्थर मिले हैं।’ रामगढ़ को नासा (NASA) ने एस्ट्रोब्लीम अर्थात् ‘तारों द्वारा दिया गया घाव’ माना है।
  • राजस्थान का प्रथम बायोमास संयन्त्र भावगढ़ बाँध (बारां) पर स्थित है।
  • राज्य का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर ‘छबड़ा’ (बारां) में स्थित है।
  • राजस्थान में अफीम की खेती के लिए बारां प्रसिद्ध है।
  • शेरगढ़ दुर्ग का पूर्व में नाम कोषवर्धन दुर्ग था जिसे शेरशाह सूरी ने बदलकर ‘शेरगढ़’ रखा।
  • मसूरिया साड़ी के लिए प्रसिद्ध स्थान बारां में है।
  • लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर को तेली का मंदिर भी कहते हैं।
  • लहसुन की मण्डी छीपाबड़ौद, बारां में लगती है।
  • जमनापरी नस्ल की बकरियाँ बारां की प्रसिद्ध हैं।

आशा करता हु की आप को बाराँ जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन )(Rajasthan gk) आप को पसंद आया होगा। इस पोस्ट में आपको बाराँ जिले की जानकारी, बाराँ जिले के मेले ,बाराँ जिले के मंदिर और बाराँ जिले के दार्शनिक स्थल बताए गए है। यह पोस्ट आपको पसंद आया तो बाराँ जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन) को शेयर जरूर करे। और अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए हमारी वेबसाइट rajgktopic को विजिट करते रहे। धन्यवाद


यह भी पढ़े :-


3 thoughts on “राजस्थान जिला दर्शन (बाराँ) : बाराँ जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *