भरतपुर जिला दर्शन : भरतपुर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
भरतपुर में शासन जाटों का था। जाट वंश का वास्तविक संस्थांपक बदन सिंह को माना जाता है। बदन सिंह ने भरतपुर के डींग महलो का निर्माण करवाया। डींग को जलमहलो की नगरी कहा जाता है। बदन सिंह के बाद भरतपुर का शासक सूरजमल हुआ इन्होने सन् 1733 में लोहगढ़ का निर्माण करवाया और भरतपुर बसाया । ईसा पूर्व 4-5 वीं सदी में भरतपुर-धौलपुर का क्षेत्र सूरसेन जनपद का हिस्सा था। भरतपुर राजस्थान की पहली जाट रियासत थी, जिसकी स्थापना जाट सरदार चूड़ामन ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद के समय में थून में दुर्ग बनाकर की थी।
- भरतपुर का क्षेत्रफल : 5066 वर्ग किमी.
- इस जिले की सीमा उत्तर में मेवात जिला (हरियाणा), पूर्व में मथुरा (उत्तरप्रदेश), दक्षिण में धौलपुर व करौली तथा आगरा (उत्तरप्रदेश) तथा पश्चिम में दौसा व अलवर जिले से मिलती है।
- भरतपुर की मानचित्र स्थिति – 26°22′ से 27°17′ उत्तरी अक्षांश से 76°53′ से 78°17′ पूर्वी देशान्तार।
- यह राज्य का सातवाँ संभाग है तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शामिल (2013 में) राज्य का अलवर के बाद दूसरा जिला है।
- भरतपुर जिले के उपनाम – राजस्थान का प्रवेश द्वार/पूर्वी द्वार , राजस्थान का पूर्वी सिंह द्वार , पक्षियों का स्वर्ग स्थल
- रूपारेल, गम्भीर, ककुन्द व बाणगंगा यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं।
- भरतपुर में मेवाती और ब्रज भाषा बोली जाती है।
- मोती झील व केवलादेव झील भरतपुर की मुख्य झीलें हैं।
- यहाँ बंध बरैठा व अजान बाँध प्रमुख बाँध हैं।
- भरतपुर वनस्पति उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
- रूपवास-यहाँ का बसन्त मेला प्रसिद्ध है।
भरतपुर के प्रमुख मेले व त्यौहार
- गंगा दशहरा मेला — कामां
- जवाहर प्रदर्शनी व बृज यात्रा — डीग
- बजरंग पशु मेला — उच्चैन
- जसवन्त पशु मेला — भरतपुर
- बसन्ती पशु मेला –रूपवास
- गरुड़ मेला — वंशी पहाड़
- बृज महोत्सव — भरतपुर/डीग
भरतपुर के प्रमुख मंदिर
- जामा मस्जिद — कौमी एकता की दूसरी यादगार इमारत जामा मस्जिद है जिसका निर्माण कार्य महाराजा बलवंत सिंह ने प्रारम्भ किया। जामा मस्जिद का प्रवेश द्वार फतेहपुर सीकरी के बुलन्द दरवाजे के नक्शे पर बनवाया गया है। यह मस्जिद लाल पत्थर की बनी हुई है।
- गंगा मंदिर — यह मंदिर भरतपुर रियासत के शासक महाराजा बलवंत सिंह ने 1846 ई. में बनवाना प्रारंभ किया था। यह मंदिर बंसी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से निर्मित है। इस बारहदरीनुमा गंगा मंदिर की दो मंजिला इमारत चौरासी खम्बों पर टिकी हुई है। मंदिर की इमारत का सामने का हिस्सा मुगल शैली पर तथा पीछे की तरफ का हिस्सा बौद्ध शैली में निर्मित प्रतीत होता है। इसके पश्चात् इस इमारत में 12 फरवरी, 1937 को महाराजा बलवंत सिंह के वंशज महाराज ब्रजेन्द्र सिंह ने गंगा की सुन्दर मूर्ति प्रतिष्ठित करवाई।। इस मूर्ति का मुँह किले के चौबुर्जा द्वार की तरफ उत्तर दिशा में है जिससे महाराजा व महारानी गंगा जी के दर्शन अपने महलों से भी कर सकते थे। मंदिर में गंगा मैया के वाहन मगरमच्छ की विशाल मूर्ति भी विराजमान है।
- उषा मंदिर — भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी के नाम पर कन्नौज के महाराजा महीपाल की रानी चित्रलेखा (बयाना) ने सन् 956 में बयाना में उषा मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे तुड़वाकर उषा मस्जिद का रूप दे दिया।
- लक्ष्मण मंदिर — शहर के बीचों बीच स्थित लक्ष्मण मंदिर का निर्माण महाराजा बलदेव सिंह ने प्रारंभ किया था, जिसे महाराजा बलवंत सिंह जी ने पूर्ण करवाया।
भरतपुर के पर्यटन व दर्शनीय स्थल
- जवाहर बुर्ज — भरतपुर किले के उत्तर-पश्चिम पार्श्व में जवाहर बुर्ज वह ऐतिहासिक स्थल है जहाँ से जवाहर सिंह ने दिल्ली पर चढ़ाई के लिए कूच किया था। दिल्ली विजय (मुगलों पर) की याद को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उन्होंने 1765 में किले में इसी स्थल पर एक विजय स्तम्भ बनवाया था।
- लोहागढ़ दुर्ग — राजा सूरजमल जाट द्वारा निर्मित भीमकाय दुर्ग जिसके चारों ओर पानी की चौडी खाई है। इसमें सुजान गंगा नहर द्वारा मोती झील का पानी आता है।
- भरतपर संग्रहालय — यह लोहागढ़ दुर्ग में ‘कचहरी कला’ भवन में स्थित है जिसका उद्घाटन 11 नवम्बर, 1944 को किया। गया। कचहरी कलां’ भवन महाराजा बलवंत सिंह के समय निर्मित किया गया।
- केवलादेव घना पक्षी अभयारण — विश्व प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य जो ‘साइबेरियन सारस’ के लिए प्रसिद्ध है। 1982 में इसे राष्ट्रीय प उद्यान घोषित किया गया। यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर सूची में 1985 में शामिल।
- बयाना — पुराणों में बयाना के निकट के पर्वतीय अंचल को शोणितगिरी तथा बयाना नगर को शोणितपुर कहा गया है। इसका प्राचीन नाम ‘श्रीपंथ’ तथा ‘भादानक’ था। बयाना की ख्याति इसके पास स्थित अनगिनत कब्रगाहों के कारण भी रही है। अत: इसे कब्रगाहों का शहर भी कहते हैं। मध्यकाल में यह क्षेत्र अनेकानेक ऐतिहासिक युद्धों का केन्द्र स्थल रहा है। इसमें दिवंगत हुए मुसलमान यौद्धाओं की सैकड़ों मजारें आज भी बीते युग की एक विरासत के रूप में विद्यमान हैं।
- रूपवास — मुगल सम्राट अकबर द्वारा बनाए गए फतेहपुर सीकरी के समीप होने से रूपवास का क्षेत्र अकबर की आखेट स्थली के रूप में काफी प्रसिद्ध रहा है। यहाँ अकबर के मृगया महल दर्शनीय हैं। यहाँ निकट ही खानवा की प्रसिद्ध युद्ध स्थली भी स्थित है।
- वैर — वैर कस्बे की स्थापना प्रतापसिंह (महाराजा सूरजमल के भाई) ने 1726 ई. में की थी। वैर बाग-बगीचों का कस्बा कहलाता है। फुलवाड़ी महल, नौलखा बाग, प्रताप फुलवारी, वैर का किला, ऊँटाला का किला आदि यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं। इसे भरतपुर जिले की लघुकाशी भी कहते हैं।
- बयाना दुर्ग — यादव राजवंश के महाराजा विजयपाल ने यह दुर्ग मानी (दमदमा) पहाड़ी पर 1040 ई. के लगभग बनवाया था। बयाना दुर्ग के भीतर लाल पत्थरों से बनी भीम लाट है। इसे विष्णुवर्द्धन ने बनवाया था। यहाँ इब्राहीम लोदी द्वारा बनवाई गई लोदी मीनार भी है। इस दुर्ग को बाणासुर का किला, बादशाह दुर्ग एवं विजयगढ़ भी कहते हैं। इसी दुर्ग में महाराजा सूरजमल का राज्याभिषेक हुआ था।
- कामां — काम्यक वन, कदम्ब वन और कामवन के नाम से पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कामां को प्राचीनकाल में ब्रह्मपुर के नाम से भी संबोधित किया जाता था। यहाँ पुष्टि मार्गीय बल्लभ संप्रदाय की दो पीठ स्थापित हैं। प्रथम गोकुल चन्द्रजी एवं द्वितीय मदन मोहन जी का प्रसिद्ध मंदिर।
- खानवा, भरतपुर — गंभीर नदी के शांत तट पर स्थित खानवा भरतपुर से लगभग 32 किमी पूर्व में रूपवास तहसील में है । यहाँ बाबर एवं मेवाड़ के महाराणा सांगा के मध्य 17 मार्च, 1527 को महासमर (खानवा का युद्ध) हुआ था।
- नगला जहाज — इस गाँव में ग्वालों के रक्षक व पालनहार लोकदेवता देव बाबा का मंदिर (थान) है।
- डीग — डींग कस्बा भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है। डीग भरतपर की प्राचीन राजधानी रहा है। डीग को जलमहलों की नगरी भी कहते हैं। अधिकांश महल बंशी पहाड़पुर के बादामी रंग के बलुई पत्थर से सन् 1755-1763 के बीच महाराजा सूरजमल एवं जवाहरसिंह द्वारा बनाये गये है। डीग के भवनों के योजना विन्यास का केन्द्र इसका वर्गाकार उद्यान है, जिसके चार भुजाओं पर चार इमारतें खड़ी हैं तथा पूर्वी व पश्चिमी पृष्ठभूमि में क्रमशः रूपसागर तथा गोपाल सागर नामक विशाल सरोवर हैं। पूर्व, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण में क्रमश: केशव भवन, गोपाल भवन, नंदभवन तथा किशन भवन की अवस्थिति है। गोपाल भवन के अनुपूरक के रूप में उत्तरी व दक्षिणी छोर पर क्रमशः सावन तथा भादों भवन स्थित है। समूह की अन्य इमारतों में उद्यान के दक्षिणी पश्चिमी कोने पर स्थित तथा किशन भवन से लगा हुआ सूरज भवन तथा हरदेव भवन है। उत्तरी छोर पर स्थित सिंहपोल मुख्य प्रवेश द्वार है। इसके अतिरिक्त दो अन्य प्रवेश द्वार-नंगा द्वार व सूरज द्वार है जो क्रमश: दक्षिणी पश्चिमी व उत्तर पूर्वी कोने पर स्थित है।
- डीग के भवन — गोपाल भवन , सूरज भवन , हरदेव भवन , किशन भवन , नंद भवन और पुराना महल आदि।
महत्त्वपूर्ण तथ्यः .
- भरतपुर अंचल में प्रदर्शनकारी कलाओं में नौटंकी, भुटनी, हुरंगे, जिकड़ी और लांगुरिया की प्रधानता है। होली के बाद पंचमी से लेकर अष्टमी तक भरतपुर जिले के ग्रामीण अंचलों में हुरंगे का आयोजन किया जाता है। इसमें शिव व शक्ति की महिमा का गायन किया जाता है। जिकड़ी में ऐतिहासिक आख्यानों तथा राजा महाराजाओं अथवा वीर पुरुषों की विरुदावली गाई जाती है जिसके कथानक में वीररस की प्रधानता होती है। यह मेले व त्यौहारों अथवा दंगलों पर आयोजित होती है।
- वंशी पहाड़पुर में उत्तम किस्म का लाल रंग का इमारती पत्थर मिलता है।
- 1804 के युद्ध में अंग्रेज सेना भरतपुर के किले को नहीं जीत सकी थी।
- भरतपुर में गुलाबी रंग का संगमरमर मिलता है।
- महाराजा सूरजमल का पैनोरमा तथा महाराणा सांगा का स्मारक एवं पैनोरमा भी भरतपुर में है।
- प्रसिद्ध लोकदेवता देवबाबा का मेला नगला जहाजपुर (भरतपुर) में भरता है। देवबाबा को पशुचिकित्सा का ज्ञान था। इन्हें ग्वालों का देवता भी कहते हैं।
- नोह रूपारेल नदी के किनारे इस स्थान पर कुषाणकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ जाखबाबा की विशाल यज्ञ प्रतिमा मिली है।
- बयाना के प्राचीन नाम-शोणितपुर, श्रीपंथ, श्रीपुर, बाणपुर।
- बयाना का युद्ध-बाबर व सांगा के बीच 16 फरवरी 1527 को हुआ, इस युद्ध में सांगा की विजय हुई।
- बयाना नील की खेती के लिए भी प्रसिद्ध था।
- खानवा का मैदान-रूपवास तहसील के नजदीक इस मैदान में 17 मार्च, 1527 ई. को सांगा व बाबर के बीच निर्णायक युद्ध हुआ, जिसमें बाबर विजयी हुआ।
- लालदासी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नगला भरतपुर में है। संत लालदास जी की यहाँ पर 1648 में मृत्यु हुई थी।
- मुर्रा नस्ल की भैसों का प्रजनन केन्द्र कुम्हेर, भरतपुर में है।
- सरसों का तेल (इंजन मार्क) भरतपुर का प्रसिद्ध है।
- राज्य में सौर ऊर्जा चलित मिल्क चिलिंग प्लांट भरतपुर में है।
- इत्र बनाने में उपयोगी खस घास भरतपुर में उत्पन्न होती है। साथ ही खैर के वृक्षों से कत्थे का उत्पादन भी भरतपुर में होता है।
- सांसी जनजाति सर्वाधिक भरतपुर में निवास करती है।
- भरतपुर प्रजामण्डल की स्थापना 1938 में गोपीलाल यादव की अध्यक्षता में युगलकिशोर चतुर्वेदी, मास्टर आदित्येन्द्र ने की।
- केन्द्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र सेवर भरतपुर में है।
- नौटंकी भरतपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य है। जिसकी शुरूआत डीग निवासी भूरेलाल ने की। कामा के गिरीराज प्रसाद ने इसे आगे बढ़ाया।
आशा करता हु की आप को भरतपुर जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन )(Rajasthan gk) आप को पसंद आया होगा। इस पोस्ट में आपको भरतपुर जिले की जानकारी, भरतपुर जिले के मेले ,भरतपुर जिले के मंदिर और भरतपुर जिले के दार्शनिक स्थल व महत्वपूर्ण जानकारी बताई गए है। यह पोस्ट आपको पसंद आया तो भरतपुर जिला दर्शन (राजस्थान जिला दर्शन) को शेयर जरूर करे। और अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए हमारी वेबसाइट rajgktopic को विजिट करते रहे। धन्यवाद