राजस्थान जिला दर्शन (कोटा) : कोटा जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan

By | October 22, 2021
कोटा जिला दर्शन

कोटा जिला दर्शन : कोटा जिले की सम्पूर्ण जानकारी  

राजस्थान की औद्योगिक नगरी, राजस्थान के कानपुर एवं शैक्षिक नगरी के रूप में विख्याता। प्रारंभिक शासक कोटिया भील नाम पर इसका नाम कोटा पड़ा। बूंदी के हाड़ा शासक समरसिंह व उसके पुत्र जैत्रसिंह ने कोटिया भील को पराजित कर कोटा प्रदेश को अपने राज्य में मिला लिया तथा कोटा की जागीर जैनसिंह को सौप दी गई सन् 1631 ई. में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इसे बूंदी रियासत से पृथक कर बूंदी के शासक राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को इसका शासन सौंप दिया था। तब से कोटा रियासत एक स्वतंत्रत रियासत बनी। 25 मार्च, 1948 को कोटा रियासत का राजस्थान संघ में विलय किया गया।

  • क्षेत्रफल : 5217 वर्ग कि.मी.
  • कोटा चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
  • कोटा जिले की सीमा मध्यप्रदेश के दो बार लगती है – प्रथमसवाईमाधोपुर व बारां के मध्य तथा द्वितीय-झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ के मध्य।
  • कोटा की कोटा डोरिया व मसूरिया साड़ियाँ प्रसिद्ध है।
  • सांगोद (कोटा) का न्हाण प्रसिद्ध है।
  • यहाँ कोटा स्टोन बहुतायत से निकलता है।

कोटा के प्रमुख मेले व त्यौहार

  • दशहरा मेला – कोटा
  • महाशिवरात्रि  —  गेपरनाथ, कोटा
  • शिवरात्रि मेला —  चारचौमा
  • नरसिंह देव  — चेचट 
  • तेजाजी मेला  —  बूढ़ादीत

कोटा के प्रमुख मंदिर

  • मथुराधीश मंदिर — कोटा नगर में पाटनपाल के निकट स्थित मथुराधीश मंदिर वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के प्रथम महाप्रभु की पीठिका है। इस मंदिर का निर्माता राजा शिवागण था। विक्रम संवद 1801 में कोटा नरेश महाराज दुर्जनशाल सिंह हाड़ा इस प्रतिमा को कोटा लाये। 
  • कंसुआ का शिव मंदिर –– 8वीं शताब्दी में निर्मित। कहा जाता है कि कण्व ऋषि का आश्रम यहीं पर था। यह गुसोत्तरकालीन शिवालय है। यहाँ सहस्त्र शिवलिंग है। यहाँ आठवीं शताब्दी की कुटिल लिपि में शिवगण मौर्य का शिलालेख है। 
  • चारचोमा का शिवालय — दीगोद तहसील के चौमा मालियां गाँव में स्थित गुप्तकालीन शिव मंदिर। 
  • विभीषण मंदिर, कैथून — यह भारत का एकमात्र विभीषण मंदिर है। 
  • भीम चौरी  —  हाड़ौती क्षेत्र में दर्रा मुकन्दरा के मध्य स्थित गुप्तकालीन शिव मंदिर। यह राजस्थान के ज्ञात गुप्तकालीन मंदिरों में प्राचीनतम है। इसे भीम का मण्डप माना जाता है। यहाँ एक स्तम्भ पर ध्रुव स्वामी का नाम लिखा है। 
  • बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर — कोटा में दीगोद तहसील में यह पंचायतन शैली का प्राचीनतम सूर्य मंदिर है
  • खुटुम्बरा शिवमंदिर — उड़ीसा के मंदिरों के शिखरों से साम्प रखने वाला प्राचीन मंदिर। 
  • 1008 श्री मुनि सुव्रतनाथ दिगम्बर जैन त्रिकाल — आर.के.पुरम कोटा में निमित इस मंदिर में तीनों कालो के 72 तीर्थकरों की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। यह मंदिर राज्य में इस तरह का दूसरा व हाड़ौती क्षेत्र का पहला त्रिकाल चौबीसी मंदिर है।  इस मंदिर के मूल नायक मुनि सुद्रतनाथ है। यहाँ मुनि सुव्रत नाथ की काले पाषाण से निर्मित प्रतिमा है। इस मंदिर की मुख्य वेदी का शिलान्यास 7 जून, 2007 को कराया गया तथा 21 से 24 जनवरी, 2008 को इसका भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
  • ‘गेपरनाथ शिवालय — यह गुप्तकालीन शिवालय कोटा-रावत भाटा मार्ग पर है। यहाँ गेपरनाथ जल प्रपात भी है।
  • श्री डाढ देवी माताजी —  ‘यह मंदिर उम्मेद गंज, कोटा में स्थित है। यह मंदिर कैथून के तँवर राजपूतों द्वारा कोटा में 10वीं शताब्दी में बनाया गया। यहाँ डाढ़ देवी के रूप में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। चैत्र आश्विन नवरात्रा में यहाँ मेला भरता है। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है। 
  • शिव मठ मंदिर, —  यह शिव मंदिर नागा साधुओं द्वारा 10वीं शताब्दी में चंद्रसल नदी पर बनाया है। इस नदी में मगरमच्छ बहुतायत से पाए जाते हैं। 
  • करणेश्वर महादेव –– यह शिव मंदिर कनवास (सांगोद, कोटा) में स्थित है। 
  • गोदावरी धाम — यह कोटा में स्थित भगवान हनुमान जी का मंदिर हैं। यह चम्बल नदी के किनारे स्थित है।

कोटा के दर्शनीय स्थल

  • यातायात पार्क — जलाई 1992 में निर्मित हाड़ोती यातायात प्रशिक्षण पार्क, जो राज्य का प्रथम यातायात पार्क है।
  • जगमंदिर — कोटा के किशोरसागर तालाब के बीच स्थित महल ज़िसे मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह (द्वितीय) की पुत्री तथा कोटा राज्य के तत्कालीन शासक महाराव दुर्जनशाल सिंह हाड़ा की रानी बजकँवर ने 1739 ई. में निर्मित करवाया था। यह उदयपुर के लेक पैलेस की तर्ज पर बनवाया गया था। 
  • कोटा का हवामहल — कोटा के गढ़ के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही महाराव रामसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया हवामहल स्थित है।
  • किशोर विलास बाग — राव किशोर सिंह जी ने किशोर सागर तालाब की पाल की मरम्मत करवाई व किशोर विलास बाग बनवाया। 
  • छत्र विलास उद्यान — इसका निर्माण महाराजा छत्रसाल ने करवाया। 
  • राजकीय महाविद्यालय — इसका निर्माण महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासन काल में सन् 1919- 20 के मध्य हुआ। तत्कालीन पॉलिटिकल एजेन्ट कर्नल हर्बर्ट के नाम पर इसका नाम हर्बर्ट कॉलेज रखा गया। सन 1954 में इसका नाम बदलकर राजकीय महाविद्यालय कर दिया गया। 
  • अभेड़ा महल — चम्बल नदी के किनारे कोटा बस स्टेण्ड से करीब 7 किमी दूर कोटा -डाबी मार्ग पर अभेड़ा के ऐतिहासिक महल स्थित हैं। 
  • क्षार बाग — छत्र विलास उद्यान के निकट क्षारबाग में कोटा नरेशों की कलात्मक छतरियाँ (श्मसान) है। 
  • चंबल उद्यान — चंबल नदी के किनारे रावतभाटा मार्ग पर 1972-1976 की अवधि में बनाया गया चंबल उद्यान। इसकी विशेषता है कि इसे चट्टानी भूमि पर विकसित किया गया है। 
  • समाधि उद्यान — चंबल नदी के किनारे शैव महन्तों द्वारा बनवाई गई दो कलात्मक समाधियाँ। इनका निर्माण राव किशोर सिंह प्रथम के समय (1670-1686) में किया गया। इन समाधियों के परिसर में नगर निगम द्वारा आकर्षक उद्यान लगाया गया है। 
  • अहिंसा वाटिका —  वर्ष 1993 में निर्मित यह वाटिका सर्वधर्म समभाव का संदेश प्रसारित करती है। इस पार्क में एकता सूर्यस्तम्भ स्थापित किया गया है। 
  • अकेलगढ़ — कोटा शहर के दक्षिण में चम्बल नदी के तट पर स्थित दुर्गों के खण्डहर। 
  • अबली मीणी का महल — मुकुन्दरा गाँव (रामगंज मंडी तहसील) में कोटा राव मुकुन्दसिंह (1648-1658 ई.) द्वारा अपनी पासवान अबली मीणी हेतु बनवाया गया महल। 
  • अन्य स्थल — केसर खान व डोकर खान की कब्रे, नेहर खाँ की मीनार, महाराव माधोसिंह म्यूजियम, दर्रा अभयारण्य, कोटा बैराज, तिपटिया व आलनिया की 50000 वर्ष पुरानी रॉक पेन्टिंग्स। रंगबाड़ी (भगवान महावीर का प्राचीन मंदिर), लक्खीबुर्ज उद्यान, कन्वास का मंदिर समूह, दर्रा का किला, भीतरिया कुण्ड, पद्मापीर की छतरी, अधरशिल्प, कोटागढ़ पैलेस आदि।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • राज्य का प्रथम टेलीमेडिसिन सेन्टर-कैथून (कोटा)।
  • भारत का पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का राजस्थान में प्रथम टर्मिनल पॉइन्ट कोटा में है।
  • कैथून – कोटा, कैथून में नवम्बर 2005 में निजी क्षेत्र की प्रथम कृषि मण्डी “श्री हनुमान कृषि उपज परिसर’ के नाम से आस्ट्रेलिया की AWB कपंनी की सहायता से स्थापित की गई। यहाँ पर युनिडो के आर्थिक सहयोग से कोटा डोरिया परियोजना का संचालन किया जा रहा है।
  • ‘ब्लैक पॉटरी ‘ कोटा जिले की प्रसिद्ध है। 0 छत्र विलास उद्यान कोटा में है। – कोटा की ‘निकिता लालवाणी’ का पहला उपन्यास ‘गिफ्टेड’
  • सम्पूर्ण भारत में सर्वप्रथम घड़ियाल को संरक्षण देने का गौरव जवाहर सागर अभयारण को है। अतः यह घड़ियालों के प्रजनन केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है।
  • कोटा जन्तुआलय-राजस्थान का नवीनतम जन्तुआलय। इसकी स्थापना 1954 में हुई।
  • उत्तरी भारत का प्रथम सर्प उद्यान-कोटा।
  • राज्य का पहला मिल्क पाउडर कारखाना कोटा के एग्रो फूड पार्क के सैकण्ड फेज पर लगाया गया है। राज्य का प्रथम एग्रो फूडपार्क-कोटा में है।
  • राज्य की प्रथम लोक अदालत 1975 में कोटा में लगाई गई।
  • यूनेस्को को संस्था इंडियन हैरिटेज सिटी नेटवर्क ने कोटा को भारत के हैरिटेज सिटी नेटवर्क में अक्टूबर 2010 में शामिल किया।
  • वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा में है। (स्थापना 7.11.1987)
  • दशहरा मेला यह मुख्यत: राजपूतों का त्योहार है। राजस्थान में दशहरा मेला कोटा का प्रसिद्ध है (भारत में मैसूर का प्रसिद्ध) दशहरा महोत्सव आदर्श नगर जयपुर में मनाया जाता है। दशहरा शोक पर्व मण्डोर (जोधपुर) का प्रसिद्ध है। इस अवसर पर मदील पगड़ी पहनी जाती है तथा लीलटांस पक्षी का दिखाई देना शुभ माना जाता है, दशहरा के अवसर पर खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है।
  • सर्वाधिक नदियों वाला व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा संभाग कोटा है।

यह भी पढ़े :-



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *