बीकानेर जिला दर्शन : बीकानेर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
- जोधपुर नरेश राव जोधा के पुत्र राव बीका ने 1465 में जांगल प्रदेश के विभिन्न छोटे-छोटे क्षेत्रों को करणी माता के आशीर्वाद से जीत कर इस क्षेत्र में राठौड़ राजवंश के शासन की शुरुआत की एवं बीकानेर रियासत की स्थापना की थी।
- प्राचीन समय में बीकानेर रियासत जांगल प्रदेश के नाम से जानी जाती थी। कुछ लोग इसे राती घाटी भी कहते हैं।
- राव बीका का प्राचीन किला बीकानेर नगर की शहरपनाह के भीतर दक्षिण पश्चिम में एक ऊँची चट्टान पर विद्यमान है।
- बीकानेर रियासत स्वतंत्रता से पूर्व राज्य की चार प्रमुख रियासतों में से एक प्रमुख रियासत थी। और स्वतंत्रता के उपरांत 30 मार्च, 1949 को यह राजस्थान में विलीन हो गई ।
- बीकानेर उस्ताकला एवं मथैरण कला के लिए संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है।
- राजस्थान की पहली महत्त्वपूर्ण नहर गंगनहर का निर्माण भी बीकानेर रियासत के शासक महाराजा गंगासिंह ने सन् 1927 में पूर्ण करवाया एवं हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर क्षेत्र की मरुभूमि को हरा-भरा बना दिया।
- बीकानेर एशिया की सबसे बड़ी ऊन की मंडी है। बीकानेर को ऊन का घर’ कहा जाता है।
- यह क्षेत्र जसनाथी सिद्धों का अग्नि नृत्य, बीकानेर की रम्मतें, यहाँ की पाटा संस्कृति (लकड़ी के बड़े-बड़े पाटों पर बैठकर की जाने वाली राजनीतिक एवं सामाजिक चर्चाएँ) आदि के लिए अपना विशेष स्थान रखता है।
- बीकानेर के रसगुल्लों की मिठास एवं भजिया-पापड का बहुत प्रसिद्ध है।
- बीकानेर का क्षेत्रफल : 27244 वर्ग किमी. है।
- उत्तर में बीकानेर जिला गंगानगर व हनुमानगढ़ से, पूर्व में चुरु जिले से, दक्षिण पूर्व में नागौर, दक्षिण में जोधपुर, दक्षिण पश्चिम में जैसलमेर जिले तथा पश्चिम में पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पर स्थित है।
- बीकानेर का उत्तरी पश्चिमी भाग रेगिस्तानी तथा दक्षिणी-पूर्वी भाग अर्द्ध रेगिस्तानी है।
- पाकिस्तान के साथ सबसे कम अंतरराष्ट्रीय सीमा बीकानेर जिले की है।
- बीकानेर जिले में कोई नदी नहीं है।
बीकानेर के प्रमुख मेले एवं त्यौहार
- भैरूंजी का मेला — कोडमदेसर
- कपिल मुनि का मेला — श्री कोलायत
- करणी माता का मेला — देशनोक
- नागणेची जी माता — बीकानेर
- चनणी चेरी मेला —- देशनोक
- जम्भेश्वर मेला —- मुकाम-तालवा (नोखा)
बीकानेर के प्रमुख मंदिर
- करणी मंदिर — देशनोक स्थित करणी माता का यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला एवं अत्यधिक संख्या में चूहों के लिए प्रसिद्ध है। करणी माता बीकानेर के राठौर राजवंश की कुलदेवी, चूहों की देवी व चारणों की कुलदेवी है। यहाँ काबा (मंदिर के सफेद चूहे) के दर्शन को शुभ माना जाता है।
- नागणेची का मंदिर — इस मंदिर में अपनी मृत्यु से पूर्व ही महिषासुरमर्दिनी की 18 भुजावाली मूर्ति राव बीका ने जोधपुर से यहाँ लाकर स्थापित की थी।
- श्रीकोलायत जी — यह कपिल मुनि की तपोभूमि है। इसका महत्त्व गंगा स्नान के बराबर है। जनश्रुति के अनुसार महर्षि कपिल ने यहाँ सांख्य दर्शन का प्रतिपादन किया था। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ प्रसिद्ध मेला भरता है।
- मुकाम-तालवा — मुकाम-तालवा विश्नोई सम्प्रदाय का प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान। यहाँ इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक जांभोजी का समाधि मंदिर है।
- लक्ष्मीनारायण जी — इस भव्य मंदिर का निर्माण राव लूणकरण ने करवाया। इस मंदिर में विष्णुजी व लक्ष्मीजी की मूर्ति का मंदिर प्रतिष्ठित है।
- श्री चिंतामणि मंदिर — मंदिर मुकाम में स्थित यह मंदिर जैसलमेर की पीले पत्थर से रथाकृति में बना हुआ है। इस मंदिर में दो भमिगत मंदिर भी है।
- भांडासर का सुमतिनाथ — बीकानेर में स्थित भांडासर (भाण्डरेश्वर) जैन मंदिर में पाँचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ जी की प्रतिमा है। जैन मंदिर बीकानेर शहर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित यह भव्य मंदिर भांडाशाह नामक ओसवाल महाजन द्वारा सन् 1411 (वि.सं.1468) में बनवाया। इस भव्य मंदिर का स्थापत्य और मनोहारी चित्रकारी देखते ही बनती है। इसके निर्माण में पानी की जगह घी का प्रयोग किया गया था। अत: यह मंदिर घी वाले मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है।
- श्री पूर्णेश्वर महादेव मंदिर — बीकानेर के भीनासर कस्बे में संत पूर्णानंद का मंदिर श्री पूर्णेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। मंदिर इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और द्वितीया को संत स्मृति में बाप जी का मेला लगता है।
बीकानेर की प्रमुख हवेलिया
- रामपुरिया परिवार ये हवेलियाँ।
- मोहता परिवार की हवेलियाँ।
- डागा परिवार की हवेलियाँ।
- सेठ चाँदमल ढड्ढा की हवेलियाँ।
- रिखजी बागड़ी की हवेलियाँ।
- श्री चुन्नीलाल जी कोठरी की हवेलिया।
- लखोटिया चौक की हवेलियाँ।
- मोहता चौक की हवेलियाँ।
बीकानेर के पर्यटक व् दार्शनिक स्थल
- लालगढ़ पैलेस — महाराजा गंगासिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में लाल पत्थर से निर्मित करवाया गया। इसमें’अनूप संस्कृत लाइब्रेरी’ एवं ‘सार्दुल संग्रहालय’ हैं। अनूप संग्रहालय में जर्मन चित्रकार ए.एच. मूलर द्वारा चित्रित बीकानेर चित्रकला के अनेक चित्र हैं। लालगढ़ पैलेस का उद्घाटन 24 नवम्बर, 1915 को भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्ज द्वारा किया गया। 1937 के बाद राजपरिवार इसी महल में रहने लगा। इसकी डिजाइन सर स्विंटन जैकब ने बनाई । यह पैलेस दुलमेरा की खानों से लाए गए लाल पत्थर से बनाया गया है। यहाँ 1974 से लालगढ़ पैलेस होटल भी प्रारम्भ किया गया है।
- देवीकुंड सागर — यहाँ बीकानेर राज परिवार की छतरियाँ (समाधियाँ या स्मारक) हैं। यहाँ राव कल्याणसिंह से लेकर महाराजा डूंगरसिंह तक की छतरियाँ बनी हुई हैं। महाराजा राजसिंह की छत्री उल्लेखनीय है, क्योंकि उसमें उसके साथ जल मरने वाले संग्राम सिंह नामक एक व्यक्ति का उल्लेख है। इस स्थान पर सती होने वाली अंतिम महिला का नाम दीपकुँवरी था, जो महाराणा सूरतसिंह के दूसरे पुत्र मोतीसिंह की स्त्री थी और अपने पति की मृत्यु पर सन् 1825 में सती हुई थी। यहाँ महाराजा सूरतसिंह की छतरी का निर्माण महाराजा रत्नसिंह ने करवाया।
- जूनागढ़ फोर्ट — जूनागढ़ फोर्ट यह किला प्राचीन दुर्ग ‘बीका की टेकरी’ के स्थान पर राजा रायसिंह द्वारा बनवाया गया। इसमें चन्द्र महल, फूल महल एवं करण महल दर्शनीय हैं। इस दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वार को कर्णपोल कहते हैं। जूनागढ़ दुर्ग को उसकी भव्यता के कारण ‘जमीन का जेवर’ कहा जाता है।
- गंगागोल्डन जुबली म्यूजियम — गंगागोल्डन जुबली भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो ने 5 नवम्बर, 1937 को इसका उद्घाटन किया। इसे बीकानेर संग्रहालय भी कहते हैं। इसमें सिंधुघाटी सभ्यता से लेकर गुप्तकाल एवं महाराजा गंगासिंहजी तक की कई पुरातात्विक वस्तुएँ संग्रहित हैं।
- कर्जन बाग विक्टोरिया मेमोरियल क्लब — कर्जन बाग व महाराजा गगासिंह ने महारानी विक्टोरिया की स्मृति में विक्टोरिया मेमोरियल क्लब बनवाया। कर्जन बाग व विक्टोरिया मेमोरियल क्लब का उद्घाटन 24 नवम्बर, 1902 को लॉर्ड कर्जन ने किया।
- गजनेर झील — महाराजा गंगासिंह ने यह झील अकाल राहत कार्यों के तहत खुदवाई । यहाँ पर डूंगर निवास, लाल निवास, शक्ति निवास, गुलाब निवास और सरदार निवास नामक सुंदर महल है। गजनेर कस्बा महाराजा गजसिंह के समय आबाद हुआ था।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- बीकानेर शहर की स्थापना राव बीकाजी ने 1488 ई.में की थी।
- पुरातत्वविदों के अनुसार यह क्षेत्र सरस्वती नदी की घाटी है।
- बीकानेर में तीन विश्वविद्यालय-स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय तथा राजस्थान पशु चिकित्सा व विज्ञान विश्वविद्यालय स्थित है।
- कोड़मदेसर : यह गाँव राव बीका के प्राचीन निवास के लिए जाना जाता है। यहाँ कोडमदेसर तालाब है। यहाँ तालाब के किनारे महल के खंडहर व भैरु जी की प्रतिमा स्थापित है। यह कोडमदेसर के भैरवजी के धाम के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला बारस को मेला भरता है। इस प्रतिमा को बीका मण्डोर से लेकर आए थे। राव रणमल के पुत्र राव जोधा ने इस तालाब का 1459 में निर्माण कराया था और अपनी माता कोड़मदे के निमित्त यहाँ कीर्ति स्तम्भ स्थापित करवाया था।
- बीकानेर में जोड़बीड़ में राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केन्द्र स्थित है।
- बीकानेर में सिंधु घाटी एवं वैदिक संस्कृति के अवशेष साथ साथ मिले है।
- लूणकरणसर : यह राजस्थान का राजकोट’ कहा जाता है।
- खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए बीकानेर में खजूर अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई।
- सूरसागर झील, गजनेर झील व लूणकरणसर झील बीकानेर मेंस्थित है।
- बीकानेर जन्तुआलय : सन् 1922 में स्थापित यह जन्तुआलय राज्य का तीसरा प्राचीन जन्तुआलय है।
- बीकानेर में गजनेर में पक्षी अभयारण्य स्थित भी है।
- पुरा अभिलेखों को संग्रहित करने के उद्देश्य से बीकानेर में राजस्थान राज्य अभिलेखागार संस्थान’ की स्थापना कीगई।
- बीकानेर में राजस्थानी भाषा, साहित्य व संस्कृति अकादमी स्थापित की गई है।
- कतरियासर : जसनाथ जी का समाधि स्थल।
- बीकानेर में प्रतिवर्ष जनवरी में ऊँट महोत्सव मनाया जाता है।
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