बूँदी जिला दर्शन : बूंदी जिले की सम्पूर्ण जानकारी .
‘छोटी काशी, बावड़ियों का शहर और परिंदो का स्वर्ग आदि कई नामो से प्रसिद्ध बूँदी की स्थापना बूंदा मीणाओ ने की थी। बूंदी अपने प्राकृतिक सोन्दर्य अपनी संस्कृति ,लोक परम्परा और ऐतिहासिक धरोहर व् स्थानीय पक्षियों की पसंदीदा सैरगाह से रूप में प्रसिद्ध रहा है। चलो बूंदी के बारे में (बूँदी जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan) और पढ़ते है —
- लोकमान्यताओं के अनुसार बूँदी की स्थापना ‘बूंदा मीणाओ’ ने की थी।
- अरावली पर्वतमाला की गोद में बसे इस शहर का नाम मीणा शासक ‘बूंदा’ के नाम पर बूंदी पड़ा।
- बूंदा के पोते जैता मीणा को हराकर हाड़ा चौहान देवा ने यहाँ चौहान वंश का शासन स्थापित किया।
- बूंदी के उपनाम – द्वितीय काशी , राजस्थान की काशी, छोटी काशी एवं ‘City of Step Wells’ (बावड़ियों का शहर) तथा बून्दु का नाला कहते है।
- बूंदी का दक्षिण-पूर्वी भाग बावन बयालीस कहलाता है।
- यह हाड़ा वंश की प्रारंभिक राजधानी थी। बूंदी जिले का उत्तरी पूर्वी क्षेत्र प्राचीनकाल में सरसेन जनपद के अन्तर्गत आता था जिसकी राजधानी मथुरा थी।
- मध्यकाल में यहाँ मीणा जनजाति का राज्य स्थापित था। सन् 1241 ई. के लगभग हाड़ा चौहान देवा ने मीणा शासक जैता को हराकर यहाँ चौहान वंश का शासन स्थापित किया।
- हाड़ा चौहानो का प्रभुत्व होने के कारण यह क्षेत्र “हाड़ौती” कहलाया।
- मराठों का राजस्थान में सर्वप्रथम प्रवेश बूंदी के उत्तराधिकार के युद्ध के कारण ही हुआ था।
- वर्तमान में बूंदी राज्य में चावल उत्पादन करने वाला प्रमुख जिला है।
- फूलसागर, जैतसागर, नवलसागर, हिण्डोली का तालाब, गुढ़ा बाँध आदि यहाँ के प्रमुख तालाब हैं।
- बूंदी का क्षेत्रफल : 5776 वर्ग किमी है।
- बूंदी जिला कोटा संभाग के अंतर्गत आता है।
- राव राजवार सिंह ने सन1354 ई. में 1426 फीट ऊँचे पहाड़ पर तारागढ़ नामक दुर्ग बूंदी में बनवाया था।
- बूँदी के विष्णु सिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सहायक संधि की।
- प्रतिवर्ष बूंदी स्थापना दिवस , 24 जून को बूंदी महोत्सव बनाया जाता है।
बूंदी के प्रमुख मंदिर
- बीजासण माता — यह प्रसिद्ध मंदिर इंद्रगढ में स्थित है। इसे इंद्रगढ़ माता का मंदिर भी कहते है।
- केशोरायपाटन — प्राचीन पाटन’ या आरमपट्टन । यहाँ स्थित केशवराय जी के प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण 1601 ई. में बूंदी के राजा शत्रुसाल ने करवाया था। यहाँ के अन्य मंदिरों में पंच शिवलिंग, हनुमानजी व अंजनीमाता के मंदिर, पाण्डुओं की गुफा आदि हैं। केशोरायपाटन में मुनि सुब्रतनाथ का प्रसिद्ध जैन मंदिर है।
- गरडिया महादेव — यह मंदिर बूंदी की तालेरा तहसील के डाबी गाँव में चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
बूंदी के पर्यटन व दर्शनीय स्थल
- राजमहल(गढ़पैलेस) — बूंदी का राजप्रासाद।
- सुखमहल — जैतसागर झील में स्थित महल, जिसका निर्माण राजा विष्णुसिंह ने करवाया था।
- चौरासी खंभों की छतरी — देवपुरा गाँव के निकट राव अनिरुद्ध द्वारा धायबाई देवा की स्मृति में 1683 में निर्मित स्मारक।
- रानी जी की बावड़ी — रानी जी की बावड़ी यह बूंदी नगर में स्थित है जो बावड़ियों का सिरमौर है। इस बावड़ी का निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नातावनजी (नाथावतनीजी) ने 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था।
- अनारकली की बावड़ी — अनारकली की बावड़ी रानी नाथावती की दासी अनारकली द्वारा वर्तमान छत्रपुरा क्षेत्र (बूंदी) में निर्मित।
- चित्रशाला — बूंदी के शासक राव राजा उम्मेद सिंह द्वारा निर्मित। चित्रकला दीर्घा; चित्रकला का स्वर्ग।
- जैतसागर — बूंदी में स्थित इस झील का निर्माण बूंदी के अंतिम मीणा शासक जैता ने 13वीं सदी में करवाया था।
- रतनदौलत दरीखाना — बूंदी के राजप्रासाद में स्थित महल, जिसमें बूंदी नरेशों का तिलक होता था। यहीं पास में चित्रशाला व अनिरुद्ध महल बने हुए हैं।
- फूल सागर — इस सरोवर का निर्माण 17वीं सदी के पूर्वार्द्ध में राव राजा भोजसिंह की रक्षिता ने करवाया था।
- शिकार बुर्ज — पहाड़ियों में स्थित आश्रम जहाँ महाराव राजा उम्मेदसिंह 1770 ई. में जीते जी राज्य अपने पुत्र अजीतसिंह को सौंपकर संन्यास ग्रहण के बाद रहा करते थे। यहाँ उम्मेदसिंह द्वारा बनाई गई हनुमानजी की छतरी दर्शनीय है। यहीं पर एक ऊँची बुर्ज है जो शाही शिकार के समय प्रयुक्त होता था।
- बांसी दुगारी — यहाँ तेजाजी महाराज का थान है। यह स्थान तेजाजी की कर्मस्थली रहा है। यहाँ एक सरावर है जिसमें दर्शनार्थी पवित्र स्थान करते हैं। यहाँ एक प्राचीन दुर्ग भी है।
- बाबा मीर साहब दरगाह — बूंदी शहर में पूर्वी दिशा में स्थित पहाड़ी पर यह 5 मीनार वाली यह दरगाह स्थित है। सामान्यतः दरगाह (मस्जिद) में 4 मीनारें ही होती हैं।
- अन्य स्थल — छत्र महल, नवलखा झाल, हुण्डेश्वर महादेव का मादर (राहण्डाला), तारागढ़ दुर्ग, कालाजी बावड़ी नारुजी की बावड़ी, गुल्ला की बावड़ी, चम्पा बाग को बावड़ी व पठान की बावडी आदि।
बूंदी के मत्वपूर्ण तथ्य :
- सहकारी शुगर मिल्स लिमिटेड-केशवरायपाटन की स्थापना बूँदी में 1965 में स्थापित हुई। यह राजस्थान राज्य की एकमात्र सहकारी चीनी मिल थी।
- अनारकली की बावड़ी बूंदी जिले में स्थित है।
- प्रतिवर्ष 24 जून को बूँदी महोत्सव मनाया जाता है।
- कजली तीज बूँदी की प्रसिद्ध है। भादों (भाद्रपद) माह में तीज तिथि को आयोजित इस मेले में गौरी माता की सवारी पूरे लवाजमे के साथ शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती है।
- देश की प्रथम बर्ड राइडर रॉक पैटिंग गरदड़ा गाँव में छाजा नदी (गरड़दा) के किनारे प्राप्त हुई।
- प्रसिद्ध लोकदेवता वीर तेजाजी की कर्मस्थली-बाँसी दुगारी है।
- राजस्थान का प्रथम साहित्यिक पत्र-सर्वहित के संपादक मेहता लज्जाराम बूँदी के निवासी है।
- सती प्रथा पर पहली बार रोक 1822 ई. में बूँदी रियासत ने लगाई।
- बूँदी चित्रशैली (Bundi Ki Chitrakala)- बूंदी चित्रशैली भित्ति चित्रों का स्वर्ग कहलाती है। बूंदी चित्रशैली का प्रारम्भत सुर्जन सिंह हाड़ा से माना जाता है। इस शैली में सर्वाधिक पशु-पक्षियों का चित्रण हुआ, इसलिए इसे पक्षी शैली भी कहते हैं। वर्षा में नाचता हुआ मोर इस शैली की प्रमुख विशेषता है।
- मोर के साथ सांप का एकमात्र चित्रण बूंदी चित्र शैली में मिलता है।
- बूंदी चित्र शैली का स्वर्ण काल राव सुरजन सिंह हाडा के शासनकाल को कहा जाता है।
- बूंदी जिले की मीठे पानी की झील निम्न है : – जय सागर, कनकसागर, नवलसागर, रामसागर झील आदि।
इस पोस्ट में आपको बूंदी जिले के बारे में (बूंदी जिला दर्शन) बूंदी के प्रसिद्ध मंदिर , बूंदी के दार्शनिक स्थल , बूंदी के पर्यटक स्थल और भी बहुत जानकारी दी गई थी। आशा करते है की ये (राजस्थान जिला दर्शन :बूंदी जिला दर्शन ) आपको पसंद आया होगा। पसंद आया तो इस पोस्ट को शेयर करे और वेबसाइट rajgktopic पर विजिट करते रहे।