जोधपुर जिला दर्शन : जोधपुर जिले की सम्पूर्ण जानकारी
सूर्य नगरी ,ब्लू सिटी थार मरुस्थल का प्रवेशद्वार आदि कई नमो से प्रशिद्ध जोधपुर शहर की स्थापना 12 मई 1459 ईस्वी में राठौड़ शासक राव जोधा ने की थी। जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है और जोधपुर थार के रेगिस्तान के बिच अपने ढेरो शानदार महलो , दुर्गो और मंदिरो वाला प्रसिद्ध स्थल भी है। वर्ष भर चमकते सूर्य के मौसम के कारण इसे “सूर्य नगरी” के नाम से जाना जाता है। चलो राजस्थान जिला दर्शन में जोधपुर जिला दर्शन को आगे बढ़ाते है और जोधपुर के बारे में और जानते है।
- जोधपुर शहर की स्थापना राठौड़ शासक राव जोधा द्वारा 1459 में की गई थी।
- जोधपुर को सूर्य नगरी, थार मरुस्थल का प्रवेश द्वार व मारवाड़ की राजधानी आदि कई उप नामो से जाना जाता है।
- जोधपुर मारवाड़ की राजधानी रहा है। स्थापना से पहले मण्डोर मारवाड़ की राजधानी था।
- मण्डोर को सामरिक दृष्टी से असुरक्षित समझकर 1459 मे राव जोधा ने चिड़ियाटुक पहाड़ी पर मेहरानगढ दुर्ग का निर्माण करवाया व जोधपुर की नीवं रखी।
- जोधपुर के बारे में निम्न दोहा प्रसिद्ध है — जोध बसायो जोधपुर, ब्रज कीनो व्रजपाल। लखनेऊ काशी दिली, मान कियो नेपाल।
- जोधपुर का क्षेत्रफल : 22850 वर्ग किमी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से जैसलमेर, बाड़मेर एवं बीकानेर के बाद चौथा बड़ा जिला।
- जोधपुर की कुल जनसंख्या — 36,87,165 है। ( 2011 जनगणना के अनुसार )
- जोधपुर का जनसँख्या घनत्व — 161 है। ( 2011 जनगणना के अनुसार )
- जोधपुर का लिंगानुपात — 916 है। ( 2011 जनगणना के अनुसार )
- जोधपुर की साक्षरता दर — 65.94 प्रतिशत है। ( 2011 जनगणना के अनुसार )
- यहां1874 में यहाँ नगर परिषद बनी।
- जोधपुर का घुड़ला व थाली नृत्य प्रसिद्ध है।
- एशिया की सबसे बड़ी देशी घी की मण्डी जोधपुर में स्थापित की गई है।
- राज्य में प्रथम डाकघर जोधपर में 1839 में स्थापित किया गया।
- यहां पर पाबूजी का जन्मस्थल भड़ला है।
- जोधपुर जिले का शुभंकर कुरंजा है।
जोधपुर के प्रमुख मेले और त्यौहार।
- नागपंचमी का मेला — मंडोर
- वीरपुरी का मेला — मंडोर
- फलौदी मेला — फलौदी
- खेजड़ली वृक्ष मेला — खेजड़ली
- कापरड़ा पशु मेला — कापरड़ा
- बाबा रामदेवजी का मेला — मसूरिया (जोधपुर)
- धींगागवर बेंतमार मेला — जोधपुर
जोधपुर के प्रमुख मंदिर।
- सम्बोधिधाम — जोधपुर में कायलाना झील के पास इसका निर्माण जैन धर्मावलम्बियों द्वारा करवाया गया है।
- अधरशिला रामसापीर मंदिर — यह मंदिर बाबा रामदेव का मंदिर है जो जालोरिया का बास, जोधपुर में एक सीधी चट्टान पर स्थित है। यहाँ बाबा रामदेवजी के पगल्ये स्थापित हैं।
- सच्चियां माता मंदिर — 11वीं सदी में निर्मित ओसिया, (जोधपुर) में स्थित यह मंदिर हिन्दुओं और ओसवालों में समान रूप से पूजा जाता है। संचिया माता को ओसिवालों की कुल देवी माना जाता है। सच्चियामाता का मंदिर महिष मर्दिनी की सजीव प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। महिषमर्दिनी की इस प्रतिमा में देवो की संहारक शक्ति की प्रभावशाली अभिव्यक्ति हुई है।
- राज रणछोड़जी मंदिर — यह मंदिर सरदारसिंह जी की माजी जाडेजी जी राजकँवर द्वारा बनवाया गया। 12 जून, 1905 को महाराजा सरदार सिंह जी द्वारा उसकी प्रतिष्ठा की गई। यह मंदिर लाल पत्थर से बना हुआ है। इसमें रणछोड़जी की काले संगमरमर की प्रतिमा है।
- महामंदिर — नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल। इस मंदिर का निर्माण जोधपर नरेश महाराजा मानसिंह ने करवाया था। इस मंदिर की प्रतिष्ठा 4 फरवरी, 1805 ई. को हुई। यह 84 खंभों पर निर्मित भव्य मंदिर है।
जोधपुर के प्रमुख दार्शनिक स्थल।
- श्रृंगार चौकी — दुर्ग परिसर में दौलत खाने के आंगन में राजा बख्तसिंह द्वारा श्वेत संगमरमर की बनवाई गई। श्रृंगार चौकी स्थित है। इस चौकी पर ही जोधपुर नरेशों का राज्याभिषेक होता था।
- जसवंत थड़ा — शाही स्मारक महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की याद में उसके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह द्वारा1899 में सफेद संगमरमर से निर्मित भव्य इमारत। इसे राजस्थान का ताजमहल’ कहा जाता है। यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ भी हैं।
- मेहरानगढ़ — तत्कालीन शासक राव जोधा द्वारा 1459 ई. में चिड़ियाट्रॅक पहाड़ी पर निर्मित दुर्ग। मेहरानगढ़ को गढ़ चिंतामणि भी कहा जाता है। किले में राठोड़ों की कुल देवी नागणेची माता तथा गुर्जर प्रतिहारों की देवी ‘चामुण्डा माता का भव्य मंदिर’ है।
- पुस्तक प्रकाश — मेहरानगढ़ दुर्ग परिसर में राजकीय पुस्तकालय ‘पुस्तक प्रकाश’ की स्थापना महाराजा मानसिंह द्वारा 2 जनवरी, 1805 को की गई। इसमें संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी व राजस्थानी भाषा की पुस्तकें, पांडुलिपियाँव बहियाँ सुरक्षित है।
- उम्मेद भवन — महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा अकाल राहत कार्यों के तहत् 1929-40 के मध्य बनवाया गया भव्य महल। यहाँ घड़ियों का एक संग्रहालय भी है। महाराजा उम्मेद सिंह जी ने 18 नवम्बर, 1929 को इस पैलेस कीनींव रखी। यह भवन इंडो-डेको स्टाइल (Beaux Arts Style) में निर्मित किया गया। इसके वास्तुविद् विद्याधर भट्टाचार्य व सर सैमुअल स्विंटन जैकब थे। इसके इंजीनियर हेनरी वॉगन लेंचेस्टर थे। इसका निर्माण 1943 में पूर्ण हुआ।
- खिंचन गाँव ,जोधपुर — यह गांव जोधपुर के फलौदी के पास स्थित है यह गांव डेमोसिल क्रैन (आप्रवासी कुरंजा) के लिए प्रसिद्ध है
- मंडौर– यहमारवाड़ नरेशों की पूर्व राजधानी थी । यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ बनी हुई हैं। एकथम्बा महल, (मांडवपुर) Hall of Heros (इसमें एक चट्टान में से 16 मूर्तियां बनाई गई हैं। यह दालान सन् 1714 में महाराजा अजीतसिंह के समय बनवाया गया। यहाँ महाराजा अभयसिंह द्वारा भी पहाड़ काटकर देवताओं की मूर्तियाँ बनवाई गई। इन्हें तैंतीस करोड़ देवताओं की साल कहा जाता है।) तना पीर की दरगाह, नागादड़ी सरोवर आदि प्रसिद्ध स्थल हैं। मंडौर में वीरपुरी व नागपंचमी के दो बड़े मेले लगते हैं। पंचकुण्ड’ नामक स्थान पर रावचूण्डा, राव रणमल, राव जोधा व राव गांगा की छतरियाँ है। पंचकुण्ड के दक्षिण में मारवाड़की रानियों की छतरियाँ स्थित है। राव मालदेव के समय से मारवाड़ के अधिपतियों की छतरियाँ पंचकुण्ड की बजाय मंडौर में बनने लगी थी।
- राजस्थान उच्च — इसके भवन का निर्माण 1935 ई. में जोधपुर नरेश उम्मेदसिंह द्वारा इंग्लैण्ड के राजा जॉर्ज पंचम के शासनकाल की रजत जयन्ती की स्मृति में करवाया गया था।
- खेजड़ली — जोधपुर से 28 किमी दक्षिण में स्थित खेजड़ली गाँव (गुढ़ा विश्नोई ग्राम)अपने वृक्ष प्रेम के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। यहाँ संवत 1787 (सन् 1730) में जोधपुर नरेश अभयसिंह के समय अमृता देवी व साथियोंने वृक्षों को काटने से रोकने के लिए अपने प्राणोत्सर्ग किए। इस गाँव में शहीद स्मारक बना हुआ है, जहाँ भादवा सुदी दशमी को प्रतिवर्ष शहीद मेला भरता है।
- सरदार क्लॉक टावर — यह घंटाघर राजस्थान के दूसरे बड़े नगर जोधपुर में गिरदीकोट पुरानी अनाज मण्डी प्रांगण में स्थित है। लाल और पीले रंग के पत्थर से निर्मित इस 100 फीट ऊँचे घंटाघर की नींव तत्कालीन नरेश सरदार सिंह ने 11 मार्च, 1910 को रखी थी। इसका निर्माण इंग्लैण्ड के वास्तुविद कर्नल सर स्विन्टन जेकब औरप्रभारी अभियंता श्री सी.के. ओब्रियन की देखरेख में सम्पन्न हुआ।
- उम्मेद उद्यान — मंडोर के बाद उम्मेद उद्यान नगर का दूसरा बड़ा उद्यान है। यह ‘पब्लिक पार्क’ के नाम से प्रसिद्ध है। महाराजा उम्मेद सिंह ने इसका निर्माण कराया था। इसे विलिंगडन गार्डन भी कहा जाता है। इसमें बने चिड़ियाघर (Z00) का उद्घाटन 17 मार्च, 1936 को भारत के वायसरॉय गवर्नर जनरल लॉर्ड विलिंगडन ने किया।
- तुंवरजी का झालरा — इसका निर्माण महाराणा अभयसिंह की रानी बड़ी तुंवरजी ने करवाया।
- करना झरना — जोधपुर में स्थित यह एक प्राकृतिक जलप्रपात है।
- मेहरानगढ़ फोर्ट म्यूजियम — महाराजा गजसिंह ने यह म्यूजियम 1972 में बनाया।
हस्तशिप :-
- जोधपुर के बाजार बहुत रंग-बिरगे है यह खरीदारी करना उत्साहपूर्ण अनुभव है। यह बंधेज का कपड़ा , कशीदाकारी की हुई चमड़े , ऊँट की खाल , मखमल की जुतिया आकर्षक रेशम की दरिया , मकराना के संगमरमर से बने स्मृतिचिन्ह उपयोगी सजावटी चीजे बाजारों में देखने को मिलती है।
जोधपुर की मत्वपूर्ण जानकारी :-
- गुर्जर प्रतिहार वंश के वास्तविक संस्थापक वत्सराज के द्वारा ओंसिया के मंदिरो का निर्माण करवाया गया।
- राव जोधा की एक रानी हाड़ी जसमादेवी ने किले के पास ‘रानी सागर’ तालाब बनवाया और दूसरी रानी सोनगरी चाँद कुंवरी ने ‘चाँद बावड़ी’ बनवाई जो चौहान बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध है।
- जोधपुर शहर की ‘गांगेलाव तालाब’ और ‘गांगा की बावड़ी’ राव गांगा ने ही बनवाई थी।
- राव गांगाजी की रानी नानकदेवी ने जोधपुर में अचलेश्वर महादेव का मदिर बनवाया।
- ओसियां माता ओसवाल जैनियों की कुलदेवी है। ओसिंया सूर्य व जैन मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है।
- ओसियां को राज्य का भुवनेश्वर कहते है यहीं पर सच्चिया माता का मंदिर है।
- यहां पर देश का पहला हैरिटेज होटल अजीत भवन है।
- राव मालदेव की रानी झाली स्वरूपदेवी ने ‘स्वरूप सागर’ नामक तालाब बनवाया था। यह बहूजी’ के तालाब के नाम से प्रसिद्ध है।
- महाराजा जसवंत सिंह प्रथम की हाड़ी रानी जसवन्तदे ने 1663 ई. में ‘राई का बाग’, उसका कोट तथा कल्याण सागर’ नाम का तालाब बनवाया था, जिसे ‘रातानाड़ा’ भी कहते हैं।
- पुस्तक प्रकाश संग्रहालय की स्थापना : यह जोधपुर दुर्ग में प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों व बहियों का संग्रहालय है जिसकी स्थापना 2 जनवरी, 1805 को मेहरानगढ़ दुर्ग में हुई। इस संग्रहालय का फाउंडेशन डे 2 जनवरी को मनाया जाता है।
- 12 जून, 1905 को महाराजा सरदार सिंह जी द्वारा माजी जाडेजी जी राजकँवर के बनाए गए राजरणछोड़जी मंदिर की प्रतिष्ठा की गई। यह लाल पत्थर से बना हुआ है। इसमें रणछोड़जी की काले संगमरमर की प्रतिमा है।
- यहां पर मारवाड़ किसान आन्दोलन राधाकृष्ण तांत द्वारा चलाया गया।
- यहां पर भड़ला नामक स्थान पर विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क है।
- यहां पर पाबूजी का जन्मस्थल भड़ला है।
- यहां पर राज्य का प्रथम आर्युवेद विश्वविद्यालय है।
- जोधपुर की बंधेज की साड़ियाँ, जस्ते के बादले, मोजड़ियाँ व साफे विख्यात है।
- मचिया सफारी पार्क : कायलाना झील पर स्थित यह पार्क कृष्ण मृग व अन्य वन्य जीवों की शरणस्थली है। यहाँ 20 जनवरी, 2016 को माचिया बायोलॉजिकल पार्क का लोकार्पण किया गया।
- आई माता : बिलाड़ा में आई माता का मंदिर है जहाँ केसर टपकती रहती है। यह रामदेव की शिष्या व सिरवी जाति की कुलदेवी है। आई माता के मंदिर में कोई मूर्ति नहीं होती है। इसके थान को बडेर कहा जाता है। सिरवी लोंग आई माता के मंदिर को दरगाह कहते हैं।
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