धौलपुर जिला दर्शन : Dholpur jila darshan
- राजस्थान की दो जाट रियासतों में भरतपुर के बाद दूसरी जाट रियासत धौलपुर रियासत थी। धौलपुर पर समय-समय पर मगल शासकों, ग्वालियर के सिंधिया एवं जाट वंश का शासन रहा।
- राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित यह जिला 15 अप्रैल, 1982 को राज्य का 27वाँ जिला बना। पहले यह भरतपुर जिले का उपखंड था। स्थानीय भाषा में यह क्षेत्र डॉग के नाम से जाना जाता है।
- धौलपुर की स्थापना तोमर वंश के राजपूत राजा धवलदेव ने की।
- यहाँ का लाल पत्थर (धौलपुर स्टोन) भवन निर्माण में बहतायत से प्रयुक्त होता है एवं रैड डायमंड के नाम से जाना जाता है।
- सामूगढ़ का युद्ध धौलपुर का प्रसिद्ध युद्ध कहा जाता है जो ‘रा-का-चबूतरा’ जगह पर लड़ा गया था। यह युद्ध औरंगजेब व उसके बड़े भाई दारा शिकोह की सेना के मध्य 1658 में उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया जिसमें औरंगजेब की विजय हुई थी।
- देश के स्वतंत्र होने के बाद राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया के प्रथम चरण में धौलपुर, भरतपुर, करौली एवं अलवर को मिलाकर मत्स्य संघ का गठन हुआ तथा धौलपुर महाराजा उदयभानुसिंह जी मत्स्य संघ के राजप्रमुख बनाये गये।
- यह राज्य का सबसे पूर्वी जिला है। इनका सबसे पूर्वी गाँव राजाखेड़ा तहसील का सिलाना गाँव है।
- धौलपुर का क्षेत्रफल : 3034 वर्ग किमी है. क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे छोटा जिला है।
- धौलपुर के पश्चिम में करौली व भरतपुर, उत्तर में आगरा (उत्तरप्रदेश) व पूर्व में तथा दक्षिण में मध्यप्रदेश है।
- जिले का सबसे बड़ा बाँध अंगाई बाँध है जो राजस्थान का सबसे लम्बा कच्चा बाँध भी है। यह पार्बती नदी पर बना है।
धौलपुर के प्रसिद्ध मेले
- तीर्थराज (मचकुण्ड) मेला —– मचकुण्ड
- सैपऊ महादेव —– सैपऊ, धौलपुर
धौलपुर के प्रमुख मंदिर
- सैपऊ महादेव(सैपऊ ,धौलपुर) — पार्वती नदी किनारे सैपऊ कस्बे के पास स्थित इस मंदिर में चमत्कारी विशाल शिवलिंग है। गंगा स्नान सैपऊ, धौलपुर को जाने वाले लोग गंगाजी से नंगे पैर पैदल चलकर गंगाजल की कावड़ें कंधों पर ला-लाकर यहाँ शिव का अभिषेक करते हैं।
- महाकालेश्वर मंदिर — सरमथुरा कस्बे में स्थित इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ला सप्तमी से चतुर्दशी तक विशाल मेला भरता है। सरमथुरा कस्बे की स्थापना 1327 ई. के लगभग पालवंश के अर्जुन देव ने की थी।
- मचकुण्ड तीर्थ — यह प्रसिद्ध हिन्दु तीर्थ स्थल है। इसे सब तीर्थों का भान्जा कहा गया है जो जिले के गंधमादन पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि मचकुण्ड में स्नान से चर्मरोग दूर हो जाते हैं। सिक्खों के 10वें व अंतिम धर्मगुरु गरु गोविंद सिंह 4 मार्च, 1662 को ग्वालियर से आते समय यहाँ ठहरे थे। उन्होंने यहाँ तलवार के एक ही वार से एक दुर्दान्त शेर का शिकार किया था। उनकी स्मृति में यहाँ दाताबंदी छोड़ शेर शिकार गुरुद्वारा बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष भादों सुदी षष्ठमी को मेला (देवछठ का मेला) लगता है। यह यहाँ का सबसे बड़ा मेला है।
- राधा बिहारी मंदिर — धौलपुर कस्बे में धौलपुर पैलेस के पास स्थित भव्य मंदिर जिसमें ताजमहल की तरह की बारीक नक्काशी धौलपुर के लाल स्टोन पर की गई है।
धौलपुर के पर्यटक स्थल
- खानपुर महल (कानपुर महल) — यह मुगल बादशाह शाहजहाँ का आरामगाह (pleasure house) था। इसके पास ही तालाब-ए-शाही (कानपुर महल) झील है इनका निर्माण सन् 1622 ई. में जहाँगीर के मनसबदार सुलेह खाँ खान ने शाहजहाँ हेतु कराया था।
- निहाल टावर — यह शहर का 8 मंजिला घंटाघर है, जिसका निर्माण सन् 1880 ई. में राजा निहालसिंह ने प्रारंभ किया था जो 1910 ई. में महाराजा रामसिंह के काल में पूर्ण हुआ। यह भारत का सबसे बड़ा घंटाघर है। इसकी घड़ी का निर्माण इंग्लैण्ड में हुआ था।
- लासवाड़ी — यह धौलपुर का एक ऐतिहासिक स्थान है जहाँ सन् 1803 में दौलत राव सिंधिया को लॉर्ड लेक ने हराकर उसकी हत्या कर दी थी। यहाँ दमोह जलप्रपात व मुगल बाग भी है।
- हुनहुँकार तोप — सिंह मुखाकृति में अष्ट धातु की इस तोप का निर्माण धौलपुर के प्रथम शासक महाराज कीरत सिंह ने करवाया था।
- शेरगढ़ का किला– जोधपुर के राजा मालदेव द्वारा निर्मित इस दुर्ग को 1540 ई. में शेरशाह सूरी ने पुनः बनवाया था, इसलिए इसका नाम ‘शेरगढ़’ पड़ा। यह किला धौलपुर के प्रथम राजा कीरतसिंह की राजधानी था। शेरगढ़ दुर्ग साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए भी जाना जाता है। इसमें जहाँ एक ओर सद्दीक मुहम्मद खाँ के मकबरे के पास शेरशाह द्वारा निर्मित मस्जिद है तो वहीं पास में हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
- तालाबशाही — बाड़ी तहसील में स्थित झील, जिसके किनारे सम्राट जहाँगीर के शहजादे खुर्रम (शाहजहाँ) के लिए उसके मनसबदार सुलेह खान द्वारा निर्मित खानपुर महल हैं।
- गजरा का मकबरा — धौलपुर शहर के बीच नृसिंह बाग में स्थित इमारत जिसे धौलपुर रियासत के राजा भगवंत सिंह (1836-73) ने अपनी प्रेमिका गजरा की याद में बनवाया।
- जुबली हॉल — धौलपुर का यह कलात्मक भवन धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयभान सिंह ने किंग जार्ज पंचम की सिल्वर जुबली के उपलक्ष्य में सन् 1935 में बनवाया था।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
- धौलपुर को राजस्थान का पूर्वी प्रवेशद्वार , रेड डायमंड , राजस्थान में सर्वप्रथम सूर्योदय का शहर,कोठी , राजस्थान का सबसे पूर्वी जिला ,धवलपुर आदि कई नामो से जाना जाता है।
- धौलपुर में भारत का सबसे बड़ा घण्टाघर “निहाल टावर ” स्थित है।
- यहां दि हाइटेक प्रिसीजन ग्लास फैक्ट्री-सार्वजनिक क्षेत्र में यहाँ पर शराब की बोतलों का निर्माण होता है।
- राजस्थान में सबसे कम सड़को वाला जिला धौलपुर है।
- बीबी जरीना का मकबरा भी धौलपुर में स्थित है।
- राजस्थान राज्य में नैरोगेज रेलवे लाइन-धौलपुर में है।
- धौलपुर मिलिट्री स्कूल — धौलपुर मिलिट्री स्कूल की स्थापना 1962 में की गई। इसका प्रारम्भ 16 जुलाई, 1962 को तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री वी.के. कृष्ण मेनन द्वारा किया गया। धौलपुर मिलिट्री स्कूल की स्थापना धौलपुर रियासत के शासकों के निवास स्थान केसरबाग पैलेस में की गई। इसकी स्वीकृति धौलपुर महाराजा उदयभान सिंह ने दी। यह देश का पाँचवाँ व स्वतंत्रता के पश्चात् स्थापित पहला मिलिट्री स्कूल है। राजस्थान में अजमेर मिलिट्री स्कूल की स्थापना 15 नवम्बर, 1930 को की गई थी।
- नैरोगेज ट्रेन — बच्चा गाड़ी के नाम से लोकप्रिय यह ट्रेन रियासत काल में सन् 1908 में प्रारम्भ हुई थी। यह गाड़ी धौलपुर से सरमथुरा होते हुए ताँतपुर (आगरा) तक जाती है। राजस्थान में छोटी लाइन (नैरोगेज) केवल यहीं पर है। यह 89 किमी. लंबी है।
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