राजस्थान जिला दर्शन (पाली) : पाली जिला दर्शन : Rajasthan jila darshan

By | May 27, 2021
Pali jila darshan

पाली जिला दर्शन : पाली जिले की सम्पूर्ण जानकारी

  • पाली इतिहास के प्रसिद्ध दानी भामाशाह (प्रताप के साथी) की जन्म स्थली रहा है।
  • इस जिले के प्राचीन काल में गुर्जर प्रदेश के नाम से जाना जाता था।
  • पाली का प्राचीन नाम पालिका भी था
  • पाली का कुल क्षेत्रफल: 12,387 वर्ग किमी है।
  • नगरीय क्षेत्रफल – 379.56 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 12,007.44 वर्ग किलोमीटर है।
  • पाली जिले में कुल वनक्षेत्र – 943.82 वर्ग किलोमीटर

पाली के प्रमुख मेले

  • रणकपुर मेला — रणकपुर
  • बिरांटीया रामदेव मेला — बिरांटीया खुर्द
  • परशुराम महादेव — परशुराम महादेव
  • निम्बाज पशु मेला — निम्बाज
  • बिरांटीया रामदेव मेला — बिरांटीया खुर्द
  • चौटीला पीर — पीर दुल्लेशाह दरगाह
  • बाली पशु मेला — बाली

पाली के प्रमुख मंदिर और दार्शनिक स्थल

  • मूंछाला महावीर — कुंभलगढ़ अभयारण्य में घाणेराव के निकट स्थित 10वीं सदी के इस मंदिर में मूछों वाले महावीर स्वामी की मूर्ति स्थापित है।
  • नारलाई — नारलाई पाली में स्थित यह स्थान जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। नारलाई के जैन मंदिरों में गिरनार तीर्थ बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें नेमीनाथ की श्यामवर्णी प्राचीन प्रतिमा है। यहीं पास में सहसावन तीर्थ भी है, जहाँ पर नेमी-राजुल के पद चिह्न हैं । यहाँ भंवर गुफा भी दर्शनीय है। 
  • वरकाणा, — पार्श्वनाथ भगवान का प्राचीन मंदिर होने के कारण वरकाणा (रानी के निकट) जैन समाज का एक बड़ा तीर्थ है।
  • चौमुखा जैन मंदिर, रणकपुर —  चौमुखा जैन पाली की देसूरी तहसील में स्थित रणकपुर का चौमुखा जैन मंदिर प्रसिद्ध श्वेताम्बर जैन मंदिर है जो शिल्प व विशालता की दृष्टि से अद्वितीय है। यह माद्री पर्वत की छाया में रणकपुर गाँव में महाराणा कुंभा के काल में धरणकशाह द्वारा शिल्पी देपा की देखरेख में सन् 1439 में बनवाया गया था। रणकपुर का चौमुखा जैन मंदिर भगवान आदिनाथ का मंदिर है। यह ‘नलिनी गुल्म देव विमान के आकार प्रकार का है। पूरा मंदिर 1444 स्तंभों पर खड़ा है। किसी भी कोण से खड़े हों, भगवान के दर्शन में कोई स्तंभ आड़े नहीं आता। मूल गर्भ गृह में विराजित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा लगभग 5 फुट की है एवं ऐसी कुल चार प्रतिमाएँ चारों दिशाओं में स्थापित है। संभवतः इसी कारण से इस मंदिर का उपनाम ‘चतर्मख जिन प्रासाद’ भी है। रणकपुर जैन मंदिर को ‘स्तम्भों का वन’ भी कहते हैं। इस मंदिर को कवि माघ ने’त्रिलोक दीपक’ व आचार्य विमल सूरि ने ‘नलिनी गुल्म विमान’ कहा है।
  • राता महावीर का जैन मंदिर — पाली जिले में स्थित इस मंदिर की स्थापत्य कला की तुलना रणकपुर जैन मंदिर से की जाती है।
  • सिरियारी — पाली जिले के छोटे से गाँव सिरियारी में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के प्रथम आचार्य श्री भिक्षु का निर्वाण हुआ था। यह श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय का एक प्रमुख लोकतीर्थ है। जैन धर्म इस क्षेत्र में खूब पनपा। वरकाणा, नारलाई, नाडोल, मूंछाला महावीर तथा रणकपुर को पंचतीर्थी भी कहा जाता है। यहाँ जैनों के प्रसिद्ध मंदिर हैं।
  • सालेश्वर महादेव — पाली के निकट गुढ़ा प्रतापसिंह ग्राम की पहाड़ी गुफा में स्थित । यहाँ स्थित ‘भीमगौड़ा’ वनवासी पांडवों की याद दिलाता है।
  • निम्बो का नाथ महादेव — पाली जिले में फालना व सांडेराव मार्ग पर पहाड़ी की तलहटी में स्थित मंदिर।
  • बाली — मिश्री नदी के किनारे स्थित कस्बा, जो जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
  • रणकपुर — अद्वितीय शिल्प से युक्त जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध, जिनका निर्माण महाराणा कुंभा के काल (15वीं सदी) में किया गया। यहाँ चौमुखा जैन मंदिर, नेमीनाथ का मंदिर (जिसे वेश्याओं का मंदिर भी कहतेहैं) आदि स्थित है।
  • सादड़ी — खुदाबक्श बाबा की प्राचीन दरगाह, वराह अवतार मंदिर व पार्श्वनाथ जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध।
  • सोमनाथ मंदिर — पाली में स्थित इस मंदिर का निर्माण गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी ने विक्रम संवत् 1209 में करवाया।
  • परशुराम गुफा — गुफा सादड़ी से कुछ दूरी पर अरावली पर्वत श्रृंखला में परशुराम की गुफा स्थित है। गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग है। इसे ‘राजस्थान का अमरनाथ’ कहा जाता है।
  • फालना जैन स्वर्ण मंदिर — यह राजस्थान का प्रथम स्वर्ण मंदिर है जो अपने स्थापत्य तथा गुम्बद पर स्वर्ण पर के लिए विशेष पहचान रखता है। इस मंदिर के मूलनायक शंखेश्वर पार्श्वनाथ है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय के इस मंदिर को’गेटवे ऑफ गोडवान’ तथा ‘मिनी मुम्बई’ के नाम से जाना जाता है।
  • चामुंडा माता मंदिर — चामुंडा माता का नोमाज कस्बे के निकट राजा भोज का बनवाया हुआ चामुंडा माता का मंदिर पुरातत्विक महत्त्व का प्रमुख स्थल है। इसे मरकण्डी माता भी कहते हैं।

पाली के महत्वपूर्ण तथ्य :-

  • पाली जिले के पादरला गाँव का ‘तेरहताली’ लोकनृत्य देश-विदेश में विख्यात है।
  • बाण्डी नदी के किनारे पर बसा पालो नगर पालीवाल ब्राह्मणों के कारण पाली कहलाया।
  • पश्चिमो राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध जवाई बाँध व सरदार समंद बाँध इसी जिले में है। जवाई बाँध को ‘मारवाड का अमृत सरोवर’ कहा जाता है।
  • पाली जिले की सीमा 8 जिलों से स्पर्श करती है। यह राजस्थान का वह जिला है जो सर्वाधिक जिलों के साथ सीमा बनाता है।
  • पाली क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल, रामायण एवं महाभारत काल के अवशेष मौजूद है।
  • प्राचीन गणराज्‍यों में यह क्षेत्र अर्बुद प्रदेश का भाग थात्र चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भारत भ्रमण के दौरान इस क्षेत्र को गुर्जर प्रदेश के रूप में जाना था।
  • सुमेल : यहाँ 1544 ई. में शेरशाह सूरी और मालदेव के बीच विख्यात ‘गिरि सुमेल का युद्ध’ (जैतारण युद्ध व अजमेर युद्ध के नाम से भी लोकप्रिय) हुआ था।
  • आउया : यहाँ सत्याग्रह उद्यान का निर्माण किया गया है।
  • बिरांटिया खुर्द : रायपुर तहसील में स्थित इस ग्राम में बाबा रामदेव का 5 मंजिला मंदिर है। जहाँ भाद्र शुक्ला दशमी को मेला लगता है।
  • सोजत सिटी : यह मेहंदी, रंगाई छपाई व गरासियाँ की फाग ओढनी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पोर मस्तान साहब की दरगाह है। यह शहर सूकड़ी नदी के किनारे बना है।
  •  अन्य स्थल — केकीन्द, नाडोल (चौहान वंश की प्राचीन शाखा का क्षेत्र), चोटीलापीर ढले शाह की मजार, (केरलास्टेशन), धौला चौतरा, जूनाखेड़ा आदि।

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